क्षणिका

क्षणिकाएं

 

१-सागर
मैं सागर हूँ
तुम हो भरा हुआ मय
कहूँ तो
यही सच हय
(सागर =प्याला )

२-कविता
जब तक तुम हो
तब तक मैं हूँ
और
तब तक है कविता

३-प्रेम
जीवन खत्म हो जाता है
प्रेम नहीं

४-खत

संभाल कर रखा हूँ सारे खत
पढ़ लिया करता हूँ जब जब
सूना होता है जीवन का पथ

५-प्रभाव

जब हो जाता है किसी से लगाव
तब उसकी ख़ामोशी का
मन पर
कुछ ज्यादा ही पड़ता है प्रभाव
अनुत्तरित सवाल की तरह
आ जाता है समय में ठहराव

६-आशिक़
तुझ पर कितना भी लिखूं वो कम है
तेरे सच्चे आशिक तो हम हैं

७- पत्तें
उनके पास पढने के लिए समय नहीं है
फिर भी हम लिखते रहते हैं
उनके मौन के आँगन में
पत्तों सा
टप टप झरते रहते हैं

किशोर कुमार खोरेन्द्र

किशोर कुमार खोरेंद्र

परिचय - किशोर कुमार खोरेन्द्र जन्म तारीख -०७-१०-१९५४ शिक्षा - बी ए व्यवसाय - भारतीय स्टेट बैंक से सेवा निवृत एक अधिकारी रूचि- भ्रमण करना ,दोस्त बनाना , काव्य लेखन उपलब्धियाँ - बालार्क नामक कविता संग्रह का सह संपादन और विभिन्न काव्य संकलन की पुस्तकों में कविताओं को शामिल किया गया है add - t-58 sect- 01 extn awanti vihar RAIPUR ,C.G.