कविता

हाइकु

 

चित्त हरण
बसता कण कण
मुझमे अंश

माधव मग्न
राधा मनमोहिनी
रास प्रेम का

काया क्षरण
माया का आवरण
मृत्यु वरण

उभरे शब्द
रूप धरा है स्याही
बनी कहानी

खुद से लड़ा
चाहत जीतने की
द्वन्द अनन्त

 

मनीष मिश्रा “मणि”

2 thoughts on “हाइकु

  • अंशु प्रधान

    सुन्दर रचना

  • विजय कुमार सिंघल

    बढ़िया !

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