गीतिका/ग़ज़ल

ग़ज़ल

ऐ दिल तुझको इशारा अच्छा दर्द से करना किनारा अच्छा जिसका जाना कमी सी लगे उसका आना दोबारा अच्छा चाहा और पाया खुदा से मैंने बनना किसी का सहारा अच्छा काम आया नफ़रतों से जूझना यूँ हुआ किरदार हमारा अच्छा — मनीष मिश्रा मणि

गीतिका/ग़ज़ल

दास्तान रूहानी लिखता हूँ

शब्दों में दास्तान रूहानी लिखता हूँ दर्द में मोहब्बत की निशानी लिखता हूँ हसरतें सभी के दिल में कुछ बदलने की गुजर चुकी वो सब नादानी लिखता हूँ जब कभी भी करते मनमानी किरदार कशमकश में उलझी कहानी लिखता हूँ संजो रखा है सबने अपने ख्वाबों का कोश रंग बिरंगी सबकी जिंदगानी लिखता हूँ कबूल […]

गीतिका/ग़ज़ल

ग़ज़ल

खुद मुझको ही लुभाती रही रात भर ज़िंदगी मुझे… सिखाती रही रात भर अहमियत समझाने को मिठास की घूंट कड़वा भी पिलाती रही रात भर दिन बीत गया सारा खारे मिजाज़ में नग्मे खुशी के…..सुनाती रही रात भर अंधेरों की गिरफ़्त में होता है दिन भी रोशनी झिलमिलाती….. रही रात भर जी तो ली हमने…. […]

गीतिका/ग़ज़ल

ग़ज़ल

आईने को कभी अपनी अदा बताते रहिए सीरत और सूरत भी खुद आजमाते रहिए है तुम्हारा दुनिया से बस इतना राबता वो जलती है जितनी उसे जलाते रहिए मुखौटे बहुत सजे हैं चेहरे पर इंसान के खुश रहें वो बस उसे वही बताते रहिए कुछ सदा निकलेंगी और कुछ शिकायतें दिल की आवाज मे आवाज […]

गीतिका/ग़ज़ल

एक साथ

एक दरिया एक कश्ती एक लहर एक साथ एक आरज़ू एक उम्मीद एक कहर एक साथ रस्मों रिवाजों रिश्तों की गहराई में मिलती एक अवाम एक बस्ती एक शहर एक साथ लाज़मी है कि गुज़रेगा उसी दौर से हर शख्स एक नुस्खा एक दवा एक जहर एक साथ पहला ही दीदार लिख देता है एक […]

गीतिका/ग़ज़ल

गीतिका

दिल की रूमानियत दिल ही जानता है पत्थरों मुर्दों को कौन ज़िन्दा मानता है मैनें कहा नहीं उसने सुन लिया सब कुछ मौन गुफ्तगू हर इशारा पहचानता है लब हिले भी नहीं बयाँ हक़ीक़त हो गयी मोहब्बत इबादत में बस यही समानता है जब भी चाहता हूँ जी लेता हूँ बचपन खाक तंग गलियों की […]

कहानी

कहानी – बँटवारा

जय प्रकाश के परिवार में उसकी माँ पत्नी एयर एक छोटी सी प्यारी सी बिटिया रहते थे ! जय प्रकाश का परिवार एक माध्यम आर्थिक स्थिति के वर्ग में आता है जहाँ सभी के कुछ न कुछ सपने है और कब पूरे होंगे पता नहीं होता ! कुछ महीनो से जय प्रकाश की आर्थिक स्थिति […]

गीतिका/ग़ज़ल

ग़ज़ल

गुलशन में गुल महकते रहेंगे है साथ उनका संभलते रहेंगे असर दुआओं में भर लो इतना हादसे खुद ब खुद टलते रहेंगे पाना ही नहीं जिन्दगी का मकसद नए ख्वाब दिलों में मचलते रहेंगे कर ले मजबूत वजूद अपना ये झोंके हवा के तो चलते रहेंगे बाजी अभी तक नहीं हारी हमनें सितमगर हर बार […]

गीतिका/ग़ज़ल

ग़ज़ल

सौगात इश्क की मिली दर्द पहली बार है खबर सारे जहाँ को हुई वाशिंदा बीमार है गुमसुम रहा करता है महफिलों में वो खुश रहने को तन्हाईयों की दरकार है जान बूझकर हारा दिल की बाजी वो दिलबर पर उसकी एक जीत उधार है गलत नहीं हुआ कभी फैसला उसका इस बार वो इंसानियत का […]

गीतिका/ग़ज़ल

ग़ज़ल

सौगात इश्क की मिली दर्द पहली बार है खबर सारे जहाँ को हुई वाशिंदा बीमार है गुमसुम रहा करता है महफिलों में वो खुश रहने को तन्हाईयों की दरकार है जान बूझकर हारा दिल की बाजी वो दिलबर पर उसकी एक जीत उधार है गलत नहीं हुआ कभी फैसला उसका इस बार वो इंसानियत का […]