लघुकथा

पुनर्जन्म

Walking Away
आज सुकन्या जल्दी जल्दी घर से निकलने की तैयारी में थी ,कुछ बङबङाती जा रही थी ,तबतक माँ की आवाज आ पहुँची……….
सुकू !! अरे मेरे लिए एक कप चाय बना दे ?
ये माँ भी!!!! अब चाय तो बनानी ही पङेगी !
उधर चाय का पानी जल रहा था और इधर सुकू जल के राख हुई जा रही थी । सोच रही थी पिछले छ महीने से वो शख्स उसके पीछे क्यों है और अब गायब हो गया ।
तब तक माँ आ गई थी ,अरे तू गई नहीं!! ये माँ भी! अब सुकू कैसे कहे कि पहले तझे चाय पिलाऊँ या जाऊँ खैर …..
नहीं माँ, बस जा ही रही थी ,और सुकू भाग खङी हुई ,कहीं वो आया हो और चला न गया हो।आज वो पूछ ही लेगी आखिर, आखिर इस चिट्ठी का क्या मतलब है ।

सुकन्या नौ बजे आफिस के लिए निकलती थी और ठीक नौ बजे वो भी उसे वहीं खङा मिलता था पर जब से सकू की सगाई हुई थी तभी से वो गायब था ,वो रोज ही उसे स्टैंड पर मिलता खामोश !कभी कभी सुकू भी उसे देख लेती और कभी वो सुकू को ही देख रहा होता ,झल्ला जाती थी वो ! लेकिन उसे बस भी वहीं से पकङनी होती थी ।

पर आज सोच रही थी जैसे उसे आदत हो गई थी उसे देखने की ” आज उसके पास एक चिट्ठी है जो उसी ने भेजी है लेकिन वो खुद नहीं आया है सुकू बार बार पढ़ती रहती है और सोचती रहती है वो एक बार उसे मिल जाए तो अपने सारे सवाल उससे पूछ ले पर वो नहीं है और शायद वो कभी न आऐ अब इधर चिट्ठी में लिखा था कि वो……. वो वही लड़की है जिसे शुभेन्दु पिछले पन्द्रह साल से अपने सपने में देखता आया था ।अचानक ही सुकू उसे एक दिन स्टैंड पर दिखाई दी थी और उसे लगा था जैसे उसे उसकी मंजिल मिल गई थी ।वो उससे दोस्ती करना चाहता था उसे बताना चाहता था कि वो तो सिर्फ उसे ही देखने आता था। पुरानी दिल्ली से स्टैड तक……..

लेकिन सुकू के डर की वजह से कभी कुछ कह ही नहीं पाया वो बताना चाहता था कि शायद सुकू उसकी जिन्दगी का हिस्सा थी उसके सपनों के माध्यम से । शायद उसकी पिछली जिन्दगी का हिस्सा ।

लेकिन अगले महीने सुकू की शादी होने वाली थी और शुभेन्दु ये जान गया था और चला गया था उसकी इस जिन्दगी से हमेशा हमेशा के लिये !!!!!!

4 thoughts on “पुनर्जन्म

  • विजय कुमार सिंघल

    लघुकथा ठीक है. पर यह कुछ सन्देश नहीं देती.

  • गुरमेल सिंह भमरा लंदन

    अजीब पियार ! १५ साल से सपने लेता रहा , दिमाग में खराबी होगी.

    • अंशु प्रधान

      प्यार तो ऐसा ही होता है

    • विजय कुमार सिंघल

      हा हा हा हा . कहते हैं जिसको इश्क खलल है दिमाग का.

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