कविता

“मैं एक किताब हूँ “

 

तुम्हारे और मेरे बीच
शब्दों की ईटों से
बना हुआ हैं एक पुल
मैं एकांत में रहता हूँ
जैसे जंगल में खिला होऊं एक फूल
तुम महानगर में रहती हो
सात समुन्दर दूर
अपने मौन को
करता रहता हूँ अभिव्यक्त
मेरे मन के
कोरे कागज़ पर अनलिखे अक्षरों को
पढ़ लेती हैं तुम्हारी रूह
न तुम्हारा नाम जनता हूँ न पता न रूप
तुम कौन हो मुझे नहीं मालूम
मुझे लगता हैं मानों मैं एक किताब हूँ
तुम्हारी अनदेखी तस्वीर
जिसका
बन गयी हो पृष्ट आमुख

किशोर कुमार खोरेन्द्र

किशोर कुमार खोरेंद्र

परिचय - किशोर कुमार खोरेन्द्र जन्म तारीख -०७-१०-१९५४ शिक्षा - बी ए व्यवसाय - भारतीय स्टेट बैंक से सेवा निवृत एक अधिकारी रूचि- भ्रमण करना ,दोस्त बनाना , काव्य लेखन उपलब्धियाँ - बालार्क नामक कविता संग्रह का सह संपादन और विभिन्न काव्य संकलन की पुस्तकों में कविताओं को शामिल किया गया है add - t-58 sect- 01 extn awanti vihar RAIPUR ,C.G.

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