कविता

मिलन

 

आकाश में खुल गये है
बादलों से बने वातायन
झांकते से लगते है वहाँ से
मुझे तुम्हारे सुंदर नयन

तुम्हारी देह के रंग सी
निखर आई है धूप
आलोकित हो उठा है
मेरे मन का आँगन

किरणों की तरह पाकर
तुम्हारी
नरम उंगलियो का स्पर्श
खिल उठे हैं
हृदय के उपवन में
उमंगों के सुमन

हो जाते है सजीव
कभी न कभी स्मरण
यादें कर ही लेती है
एक न एक दिन
आकार ग्रहण

ख्यालों की चाँदनी में
मिलते मिलते
दो रूहों का सच में
हो ज़ाता है
समय के किसी
सुनहरे भोर में मिलन

किशोर

किशोर कुमार खोरेंद्र

परिचय - किशोर कुमार खोरेन्द्र जन्म तारीख -०७-१०-१९५४ शिक्षा - बी ए व्यवसाय - भारतीय स्टेट बैंक से सेवा निवृत एक अधिकारी रूचि- भ्रमण करना ,दोस्त बनाना , काव्य लेखन उपलब्धियाँ - बालार्क नामक कविता संग्रह का सह संपादन और विभिन्न काव्य संकलन की पुस्तकों में कविताओं को शामिल किया गया है add - t-58 sect- 01 extn awanti vihar RAIPUR ,C.G.

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