कविता

क्या कहूँ ..तुमने तो सब कह दिया

क्या कहूँ ..तुमने तो सब कह दिया”

समुद्र ने मुझे
रोकना चाहा

लहरों के हाथ मुझे
बुलाते रहे

उसकी पुकार को मेरा
लौटता हुआ मन
सुनता रहा

पर्वत के छत पर
टहलते बादलो ने
मुझे घेर लिया

प्रपात की धारो की छलांग
से उत्पन्न नाद से
खुश ..घाटियों ने
धुंए की तरह
मुझे जकड़ना चाहा

मुझे ठहरने के लिए
आग्रह करते
पुष्पों की महक को –
मेरा लौटता हुआ मन
अस्वीकार करता रहा

जंगल के एकांत के
शीतल शांत
संगमरमर के पत्थरो से
बनी सीढियों से उतरता हुआ
मै लौट रहा हूँ

हे कल्पना तुम तक ….
तुम्हारी करुणा के
उदार महासागर तक …

तुम्हारे प्रेम की
अन्नत ऊँचाईयों तक …

शायद मेरी कल्पना
मुझसे अब कहेगी –
क्या कहूँ ..
तुमने तो सब कह दिया

किशोर कुमार खोरेंद्र

किशोर कुमार खोरेंद्र

परिचय - किशोर कुमार खोरेन्द्र जन्म तारीख -०७-१०-१९५४ शिक्षा - बी ए व्यवसाय - भारतीय स्टेट बैंक से सेवा निवृत एक अधिकारी रूचि- भ्रमण करना ,दोस्त बनाना , काव्य लेखन उपलब्धियाँ - बालार्क नामक कविता संग्रह का सह संपादन और विभिन्न काव्य संकलन की पुस्तकों में कविताओं को शामिल किया गया है add - t-58 sect- 01 extn awanti vihar RAIPUR ,C.G.

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