अंगरेजी : मुसीबत अकेली नहीं आती
जल्दी जागने के विषय में कुछ शास्त्रोक्त निर्देश पढेंगे तो जान सकेंगे कि प्रकृति और मानव के अन्तर्सम्बन्धों पर हमारे ऋषि- मुनियों ने कितने अनूठे और समयसाध्य अनुसंधान किए होंगे I आयुर्वेद में कहा गया है कि स्वास्थ्य की रक्षा के लिए मनुष्य ब्रह्ममुहूर्त में जागे, ब्राह्मे मुहूर्ते उतिष्ठेत स्वस्थो रक्षार्थमायुष I आयुर्वेद के अष्टांग संग्रह में लिखा है कि “बुद्धिमान व्यक्ति आयु की रक्षा के लिए ब्रह्ममुहूर्त में उठे और दर्पण में मुंह देखें I” मनु महाराज ने मानव संहिता में लिखा है –“ब्राह्मेमुहूर्तेबुध्येत धर्माथौतानुचिन्तयेत” कायक्लेशान्च्श तन्मूलानवेद तत्वार्थमेवच” अर्थात् ब्राह्ममुहूर्त में जागकर पहले धर्म और अर्थ का चिन्तन करना चाहिए I हमें परमेश्वर का स्मरण करते हुए यह निश्चय करना चाहिए कि पूरे दिन परिश्रम और प्रामाणिकता (ईमानदारी) से धनोपार्जन करेंगे I यदि शरीर में किसी प्रकार का कोई कष्ट है, तो उसके निवारण का प्रयास करेंगे I अमेरिका के एक प्रसिद्ध लेखक एमर्सन ने लिखा था कि “वेद कहते हैं कि समस्त बुद्धियां प्रात:काल के साथ जागृत होती हैं I” ऋग्वेद में वचन है कि प्रात: जल्दी उठने वाला रत्नों को धारण करता है I आयुर्वेद के मनीषी नहीं भारत के लोकजीवन से जुड़े एक विद्वान ने बड़ी प्रभावी पंक्तियां लिखी हैं “हर रात के पिछले पहर में, इक दौलत लूटती रहती है I जो सोवत है सो खोवत है I जो जागत है सो पावत है I” आयुर्वेद के ग्रन्थ भैषज्यसार में लिखा है प्रात:काल उठने से सौन्दर्य, धन-धान्य, बुद्धि, यश, स्वास्थ्य और दीर्घायु की प्राप्ति होती है, शरीर कमल के समान खिल जाता है I एक कवि ने कहा है “सौ दवा, भोर की एक हवा I
आचार्य चक्रदत्त ने लिखा है – कुचैलिनम दंतमलोपधारिणम, बह्वाशिनम निष्ठुरभाषिणम च I सूर्योदये चास्तमिते शयानम, विमुंचति श्रीर्यदी चक्रपाणि: II अर्थात् मैले वस्त्र पहननेवाले, दंतधावन न करनेवाले, बहुत खाने वाले, सूर्योदय के समय सोने वाले व्यक्ति को, भले ही वह स्वयं श्रीनारायण ही क्यों न हो, उसे श्री (लक्ष्मी यानी सम्पदा) त्याग देती है I अर्थात् न घर में पैसा रहता है और न ही मुख पर कान्ति रहती है I इस विषय में महामति आचार्य चाणक्य ने कहा है कि सूर्योदय के समय को सोकर व्यर्थ करने वाले को लक्ष्मी, विद्या, बुद्धि सब छोड़ जाते हैं I वह व्यक्ति एक न एक दिन दरिद्र हो जाता है I
अमेरिका में सम्पन्न एक अध्ययन में बताया गया कि जो जल्दी जागते हैं, उनमें ऊर्जा का स्तर, समस्या निराकरण योग्यता, तथा जागरूकता का स्तर तुलनात्मक रूप से अधिक होता है I नॉर्थ वेस्टर्न यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने 2011 द स्टडी में पाया कि देर तक सोने वाले लोग तुलनात्मक रूप से प्रतिदिन औसतन 248 कैलोरी ज्यादा ग्रहण करते हैं और अधिक फास्टफूड तथा कम फल व सब्जियां खाते हैं, इसकारण उनमें मोटापा भी हो सकता है I
ब्राह्ममुहूर्त किसे कहते हैं – रात्रि के अंतिम प्रहर का जो तीसरा भाग होता है, उसको ब्राह्ममुहूर्त या अमृतवेला कहते हैं I यह समय लगभग चार बजे का होता है I
हम अत्यन्त सौभाग्यशाली रहे हैं कि हमारे पिताजी हम सभी पाँचों भाइयों और तीनों बहनों को साढ़े चार बजे उठा देते थे, शुरुआत में आलस्य आता था, उठने में आनाकानी करते थे तो कान पकड़ या मरोड़कर जगा देते थे I कादम्बिनी में कई साल पहले एक आलेख पढ़ा था, जिसमें किसी वैज्ञानिक अध्ययन का उल्लेख था कि कान खींचने और मरोड़ने से एकाग्रता और स्मरण शक्ति बढ़ती है I परमात्मा की कृपा से शालेय शिक्षा के समय गुरुजनों ने खूब कान खींचे I आज खींचते तो सारे अखबारों में मुखपृष्ठ खबर बन जाती I अब न वैसे सदाशयी और लगन से पढ़ाने वाले शिक्षक हैं और न ही वैसे पालक I
हमारे यहां एकदम से, हड़बड़ाहट में बिस्तर त्यागने के विषय में निषेधात्मक निर्देश हैं I लेटे लेटे ही अंगड़ाइयां लेने का कहा गया है I शरीर विज्ञान के अनुसार रातभर हमारा शरीर सुप्तावस्था में लेटा हुआ रहता है, ऊर्जा की जरूरत कम रहती है, फलस्वरूप ह्रदय और फेफड़ों को कम काम करना पड़ता है, यह बात अन्य अंगों के लिए भी सही है I ऐसे में यदि आप एकदम से बिस्तर से उठ खड़े होते हैं तो आराम फरमा रहे सारे अंगों पर अचानक काम का पूरा बोझ आ पड़ता है, बजाय इसके आप लेटे लेटे ही यदि शरीर को तानते हैं, तो शरीर के सभी अंगों को खबर मिल जाती है कि काम पर लगने का समय हो चुका है I आपने देखा होगा सारे पशु-पक्षी सोकर जागने के बाद शरीर को तानते हैं I लेटे लेटे अंगड़ाई का विधान इसीलिए रखा गया है I यदि अंगड़ाई लेकर या हाथों को आपस में रगड़ कर मंत्रोच्चार करते हुए उठते हैं तो दिल को यह अहसास हो जाता है कि पूरे जोर शोर से कामपर लगने का वक्त आ गया है I आयुर्वेद और योगशास्त्र के अनुसार जब भी उठे, एक तरफ करवट लेकर उठें, सीधे नहीं उठें I रात भर में अकड़ चुके जोड़ खुल जाते हैं I शरीर तानने से शरीर में थोड़ी गर्माहट भी आती है, जिससे उठने और काम पर लगने में आसानी हो जाती है I शरीर में मेटाबोलिज्म की क्रिया बढ़ने से दिन की शुरुआत में आसानी होती है I कुछ लोग जागते ही सोने के चक्रव्यूह में पुनः फंस जाते हैं, तानने से वैसी स्थिति नहीं बनती I अंगड़ाई से शरीर कई स्तर पर सक्रिय हो जाता है, मस्तिष्क, दिल, रक्त प्रवाह और लगभग सम्पूर्ण मेटाबोलिज्म बढ़ जाता है I मांसपेशियों एवं मस्तिष्क में रक्तप्रवाह बढ़ जाता है I मस्तिष्क में रक्तप्रवाह बढ़ने से एकाग्रता बढ़ जाती है I कुछ मिनट शरीर को तानिये और शरीर को स्वस्थ और लचीला बनाए रखने में स्वयं की मदद कीजिए I
इन दिनों हम और हमारे बच्चें काम पर जाने या स्कूल जाने के लिए हड़बड़ाहट में उठ बैठते हैं I शरीर के बेचारे अंग रोज रोज इसतरह के आकस्मिक बोझ से बोझिल होते होते बीमार होने लगते हैं I
बहुत ही अच्छी प्रस्तुति ।
हर व्यक्ति को जल्दी सोना व जल्दी उठना चाहिये ।
मैं हमेशा यही करता हूं ।
बहुत अच्छा लेख डाक्टर साहब. जल्दी सोना और जल्दी उठना मेरी पुरानी आदत है और इसका मुझे बहुत बहुत लाभ हुआ है. लेकिन अफ़सोस मेरे अपने बच्चे इसका पालन नहीं करते.
डाक्टर साहिब आप का लेख बहुत अच्छा है लेकिन इस में एक बात है कि जब यह ग्रन्थ लिखे गए थे तब हवा बिलकुल शुद्ध थी और काम भी ऐसे नहीं थे . आज किसी को रात को डिउटी देनी पड़ती है , टैक्सी वाले , रिक्शेवाले पुलिस वाले हर दम कारों के धुएं में सांस लेते हैं . फसलों पर ना जाने कौन कौन से पैस्तेसाइड डालते हैं . किसी कि बात करने कि वजाए मैं अपनी बात करता हूँ . मैंने १९६८ से लेकर आज तक रेगुलर योग , तेज़ चलना अच्छी खुराक जिस में सलाद उबली सब्जिया नट्स फ्रूट्स , कोई फ्राई फ़ूड नहीं . शाएद इतनी अपनी सिहत का खियाल बहुत कम लोग रखते होंगे लेकिन बिमारीआं हमें फिर भी लग गई . कारण ? ज़माना बदल गिया . आप तो डाक्टर हैं और आज के ज़माने में आयुर्वैदिक दवाइआन भी काम नहीं करती . लेकिन वोह पुराना ज़माना अच्छा था लेकिन हम टाइम ट्रेवल नहीं कर सकते .