आजीवन हिन्दी सेवा करने के लिए दि. 15 से 17 फरवरी तक फिजी में आयोजित विश्व हिन्दी सम्मेलन में हिन्दी के तीन विद्वानों को सम्मानित किया गया- मेडीकल की पढ़ाई हिन्दी में कराने में सफल रहे डॉ. मनोहर लाल भंडारी, म.प्र. हिन्दी भवन के निदेशक डॉ. जवाहर कर्नावट और अ.भा. साहित्य परिषद के निदेशक रहे […]
Author: *डॉ. मनोहर लाल भण्डारी
वैश्विक शान्ति के लिए हिन्दी बने विश्वभाषा
फीजी के नांदी शहर में आयोजित बारहवें विश्व हिन्दी सम्मेलन को सार रूप में देखें तो ऐसा ध्वनित और स्पष्ट प्रतीत होता है कि फीजी सरकार और भारत सरकार के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित इस सम्मेलन का मुख्य उद्देश्य हिन्दी को विश्वभाषा बनाना रहा है। फीजी के नागरिकों के अतिरिक्त तीस देशों के साढ़े तीन […]
केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री के नाम खुला पत्र
आदरणीय मंत्रीजी, सादर वन्देमातरम्, करबद्ध प्रार्थना है कि कृपया मेरे इन प्रश्नों का उत्तर देने का अनुग्रह करें फैमिली फिजिशियन देश में कब लौटेगा: फैमिली फिजिशियन की मृत्यु और जिन्हें पुनर्जीवित करने के बारे में एमसीआई चिन्ता जताकर 2008 से सेमिनार आयोजित करती रही है, परन्तु आज भी देश के नागरिक समुचित शुल्क […]
सिंहासन खाली करो कि हिन्दी और भारतीय भाषाएं आती हैं
जब से चिकित्सा शिक्षा को हिन्दी माध्यम से दिए जाने की घोषणा हुई है, तभी से अभी तक कुल मिलाकर लगभग डेढ़ सौ चिकित्सा शिक्षकों, चिकित्सकों, पत्रकार साथियों और गैर चिकित्सीय विद्वानों तथा विद्यार्थियों ने मुझसे बातचीत में सरकार के इस कदम की आलोचना एवं घोर निन्दा की है, उपहास उड़ाया है, आत्मघाती कहा है, […]
क्षमा वीरस्य भूषणं
आदरणीय सादर नमस्कार I जैनधर्म की परम्परानुसार वर्ष में एक बार संवत्सरी पर्व पर वार्षिक प्रतिक्रमण का सुअवसर हर आयु के जिन अनुयायी को सौभाग्यवश मिलता है I प्रतिक्रमण का अर्थ है, पीछे लौटना, यानी अपने मूल स्वभाव या स्वरूप में लौट जाना, चूंकि आत्मा को शुद्ध, पवित्र तथा कमल के पुष्प की तरह निर्लिप्त […]
सावधान दक्ष, एक दिन बोलेंगे वृक्ष
मैं हूँ वृक्ष. मैं वनस्पतियों के प्रतिनिधि के रूप में अपने छोटे भाई मनुष्य के हितार्थ अपनी आत्मकथा लिख रहा हूँ, इसे उपकारों को गिनाना नहीं समझा जाए. वैसे भी हमने मनुष्य पर कोई उपकार नहीं किए हैं, प्रकृति माता ने हमें निमित्त बनाकर मनुष्य को उपहारों के अकूत भाण्डार दिए हैं, हमारी भूमिका तो […]
कबीरदासजी के बोल, बन्दे आंखें खोल
सुबह-सुबह का स्वप्न है, एक बहुत बड़े परिसर में विश्व की लाखों वेश्याओं का सम्मलेन था, महात्मा कबीरदासजी मुख्य वक्ता और अतिथि के रूप में मंच पर विराजमान थे. उन्होंने एक सदस्या की जिज्ञासा का समाधान करते हुए कहा कि आपकी पीड़ा यथार्थ है कि आप विविध आयामी विवशताओं के कारण शरीर बेचती हैं और […]
करवा चौथ, दो नोबेल सम्मान और वैज्ञानिकों की पांच पुस्तकें
देवदुर्लभ मानव शरीर की पवित्रता को जीवन का परम ध्येय मानने वाले कबीरदासजी को विनम्र नमन, जिन्होंने “जूं की त्यों धरधीनी चदरिया कह कर हमें दिव्य सन्देश दिया है कि यह शरीर उन्मुक्त उपभोग की वस्तु नहीं है बल्कि अव्यक्त ब्रह्म और व्यक्त (अर्थात् हम सभी व्यक्ति) को मिलाने वाला परम पावन सेतु है. भगवान […]
उपहार
जमूरा – उस्ताद ! मुझे आज उपहार इनाम चाहिए. बोल जमूरे ! आज जीवन में पहली बार तूने रोटी के अलावा कुछ मांगने के लिए मुंह खोला है, जरूर दूंगा, मांग. जमूरा मदारी के पैरों में गिर पड़ा और बोला, उस्ताद ! स्वराज की 75 वीं सालगिरह पर क्या आप मेरे लिए भारत से कुपोषण […]
राज के अमृत महोत्सव पर हिन्दी माध्यम के विद्यार्थियों को अनुपम भेंट- हिन्दी में चिकित्सा शिक्षा
स्वराज के अमृत महोत्सव पर मोदीजी की प्रेरणा से मध्य प्रदेश सरकार का यह साहसिक निर्णय निश्चित ही समूचे भारत की चिकित्सा शिक्षा की दिशा को एक नया आयाम देगा, जिसके तहत इस वर्ष से चिकित्सा शिक्षा का माध्यम हिन्दी किया जा रहा है, यह निर्णय प्रशंसनीय, अनुकरणीय, वन्दनीय और सराहनीय है I यह हिन्दी […]