राजनीति

भ्रष्टाचार मुक्त भारत हेतु स्पीकिंग आदेश को अनिवार्य करें

मैं सरकारी नौकरी में 38 वर्ष रहा हूँ, अतएव अपने अनुभवों के आधार पर मेरा सुझाव है कि देश के सभी शासकीय और अर्द्ध शासकीय कार्यालयों में दिए जाने वाले हरेक आवेदन के उत्तर में अधिकतम तीन माह में स्पीकिंग आदेश या रिजंड आदेश को अनिवार्य रूप से लागू किया जाए I आवेदन में माँगी गई सुविधाओं का यदि आवेदक को अधिकार नहीं हो तो सुस्पष्ट तथा पठनीय लिपि में लिखा जाये कि किन-किन नियमों के तहत पात्रता नहीं है I ऐसा लिखने वाले अधिकारी का स्पष्ट पद और नाम अनिवार्य किया जाए, नामजद होने पर अधिकारी नियमों का अध्ययन करने के बाद ही टिप्पणी लिखेगा, अभी तो हाई कोर्ट तक में गलत जानकारी दी जाती है I

इससे निम्नलिखित लाभ होंगे:-

·       जनता [विशेषकर ग्रामीण और अनपढ़] को अपना अधिकार पाने के लिए अधिकारियों के चक्कर नहीं लगाना पड़ेंगे I

·       विद्यार्थियों और अन्य सभी नागरिकों को शासकीय योजनाओं [जैसे स्कालरशिप आदि] का लाभ बिना दलालों और विलम्ब के मिलने लगेगा I

·       मनोबल बढेगा, सरकारी व्यवस्था पर विश्वास बढेगा I

·       योजनाओं का लाभ समय पर मिलेगा I  

·       भ्रष्टाचार कम से कम हो जाएगा, क्योंकि देरी ही भ्रष्टाचार की माता है I

·       आवेदन निरस्त करने के कारणों [स्पीकिंग आर्डर / रीजन्स] से असंतोष होने पर आवेदक शासन के स्थान पर सम्बन्धित जिम्मेदार व्यक्ति के विरुद्ध सक्षम अधिकारी अथवा न्यायालय में जा सकेगा I वर्तमान में सरकार के विरुद्ध प्रकरण दर्ज होने से अधिकारी जरा-सा भी नहीं डरते हैं, क्योंकि सरकार तो अमूर्त होती है I

·       समय पर काम होने से जनता का सरकार के प्रति धन्यवाद का भाव रहेगा, तथा उन्हें सुशासन या रामराज्य की अनुभूति होगी I

·       चक्कर बचने से जनता दलालों के जाल में नहीं फंसेगी I

·       भ्रष्ट शासकीय कर्मचारी और अधिकारी जनता का शोषण नहीं कर सकेंगे I

·       चक्करों से बच जाने से जनता के उत्पादक कार्यदिवसों का लाभ देश के विकास के लिए मिलेगा, अभी तो बेचारी जनता सालोंसाल तक दफ्तरों के चक्कर काटती रहती है, अपने गाँव/नगर से तहसील या जिलों या राजधानी में जाना पड़ता है I इन चक्करों में जनता का हजारों रुपया खर्च हो जाता है I

·       अपने अधिकार पाने के लिए न्यायालय नहीं जाना पड़ेगा तो वकीलों की फीस और न्यायालय के चक्करों से भी नागरिकों को मुक्ति मिलेगी I

·       कागजों की बेशुमार बचत होने से पेड़ों की रक्षा होगी, पर्यावरण की भी रक्षा होगी I

·       समय पर स्कालरशिप नहीं मिलने पर मैंने अपने विद्यार्थियों को निराशा और कर्जें के चक्कर में पड़ते देखा है I

सुझाव का पुख्ता, पर्याप्त और सक्षम आधार प्रस्तुत है-

·       मैं मध्य प्रदेश सरकार का एक प्रथम श्रेणी राजपत्रित अधिकारी रहा हूँ, मुझे शासकीय योजना का एक लाभ अप्रैल 2006 से मिलना था, दर्जनों आवेदनों के बाद भी नहीं मिला I क्यों नहीं दिया जा रहा है, दर्जनों आवेदनों के बाद भी एक बार भी नहीं बताया गया I जबकि हरेक आवेदन संस्था प्रमुख के द्वारा अग्रेषित किया जाता रहा I जुलाई 2019 में हाई कोर्ट में याचिका लगाई, 31 जुलाई 2019 में निर्णय पक्ष में आया I सेवानिवृत्त 31.12.2020 को हो गया परन्तु लाभ आज तक नहीं मिला है I

·       जनवरी 2020 में अवमानना याचिका लगाई I जून 2021 में आदेश निकाला गया और मार्च 2022 को हाई कोर्ट में प्रदेश के अत्यन्त ही वरिष्ठ अधिकारियों के बिहाफ पर एक आईएएस अधिकारी ने एफिडेविट प्रस्तुत किया कि हमने सभी को लाभ दे दिया है I

·       और दुर्भाग्य यह है कि मैं लाभ पाने के लिए पिछले साढ़े चार सालों से मध्य प्रदेश सरकार के अधिकारियों से पत्राचार कर रहा हूँ, चक्कर लगा रहा हूँ I मुख्य सचिव, मध्य प्रदेश शासन, भोपाल के कार्यालय जाकर और कमिश्नर, इन्दौर के कार्यालय में आवेदन जमा करवाया I थक हारकर मैंने केन्द्रीय विधि मंत्रीजी के मोबाइल नम्बर का जुगाड़कर 16 जनवरी 2024 और फिर 23 जनवरी 2024 को उनसे दो बार बात भी कर ली, उन्होंने आश्वासन दिया कि मेरे कार्यालय के लोग आपके मामले को देख रहे हैं I परन्तु सारे कागजात दो बार भेजने के बाद और फिर से 07 फरवरी 2024 को रिमाइंडर भी भेजा परन्तु आज दिनांक तक कुछ नहीं हुआ है I काश ! स्पीकिंग आदेश का प्रचलन होता I अपने साथ हुए अन्याय का का उल्लेख आपके माध्यम से न्याय पाने के लिए नहीं कर रहा हूँ, उसके लिए तो मैं 27 मार्च 2024 को पुनः हाई कोर्ट में अवमानना की अवमानना याचिका लगाने वाला हूँ I

·       जब मेरे जैसे जागरूक और उच्च शिक्षित प्रथम श्रेणी राजपत्रित अधिकारी की हाई कोर्ट में जीतने तथा अवमानना याचिका के बाद यह दुर्गति हुई है तो सोचा जा सकता है कि सामान्य, कम शिक्षित या अनपढ़ और ग्रामीण जनता की कितनी दुर्गति होती होगी? क्या वे मेरी तरह पचास साठ हजार रुपए खर्च कर सकते हैं? दर्जनों बार लिखा पढी कर सकते हैं? राजधानी जाने के लिए पैसा और समय खर्च कर सकते हैं? वकीलों और न्यायालय के चक्कर लगा सकते हैं? केन्द्रीय मंत्रीजी से सीधे बात करने का पराक्रम कर सकते हैं? बिलकुल भी नहीं I

तो समाधान क्या है? स्पीकिंग आदेश या रिजंड आदेश I  आशा है, आप इस विषय में निर्णय लेते समय मानवीय संवेदनाओं को सर्वोच्च स्थान देने का अनुग्रह करेंगे I