कविता

हाइकु कविताएँ

जहां हमारा मन जाकर बार-बार अटक जाता है, मन को कुछ खोने का डर और मिलने की आस लगी रहती है, जो हमें सुखी-दुखी, मान-अपमान, लाभ-हानि, जय-पराजय देती है, वही हमारी माया है। यानी किसी शख्स के संसार में उलझे रहने की वृत्ति का नाम माया है। माया अपनी कलाकारी से जीवों को खुद में उलझाकर जन्म-मरण के चक्र में बांधे रखती है। जब तक मन माया के जाल में फंसा रहता है, मुक्ति मुमकिन नहीं। माया से ऊपर उठना मुक्ति है। संसार जितना दिखाई देता है, वह और कुछ नहीं, बल्कि माया का जाल है ।

ठगनी माया
खोना न सुध बुध
बिसरा काया ।

खोने का भय
पाने का अहसास
माया हो पास ।

मुक्ति की चाह
पथ है भटकाती
माया की राह ।

मिले न मुक्ति
प्रपंच में उलझे
व्यर्थ है युक्ति ।

देह का अंत
पुनः पुनः उत्पन्न
इच्छा अनंत ।

गुंजन अग्रवाल

नाम- गुंजन अग्रवाल साहित्यिक नाम - "अनहद" शिक्षा- बीएससी, एम.ए.(हिंदी) सचिव - महिला काव्य मंच फरीदाबाद इकाई संपादक - 'कालसाक्षी ' वेबपत्र पोर्टल विशेष - विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं व साझा संकलनों में रचनाएं प्रकाशित ------ विस्तृत हूँ मैं नभ के जैसी, नभ को छूना पर बाकी है। काव्यसाधना की मैं प्यासी, काव्य कलम मेरी साकी है। मैं उड़ेल दूँ भाव सभी अरु, काव्य पियाला छलका जाऊँ। पीते पीते होश न खोना, सत्य अगर मैं दिखला पाऊँ। छ्न्द बहर अरकान सभी ये, रखती हूँ अपने तरकश में। किन्तु नही मैं रह पाती हूँ, सृजन करे कुछ अपने वश में। शब्द साधना कर लेखन में, बात हृदय की कह जाती हूँ। काव्य सहोदर काव्य मित्र है, अतः कवित्त दोहराती हूँ। ...... *अनहद गुंजन*

6 thoughts on “हाइकु कविताएँ

  • गुंजन अग्रवाल

    शुक्रिया उपासना जी

  • गुंजन अग्रवाल

    दिल से धन्यवाद आपका हौसला अफजाई के लिए विजय भाई जी

  • गुंजन अग्रवाल

    आ गुरमेल जी आपने सही कहा की बिना इच्छायों के हम अपना लक्ष्य क9 प्राप्त नही कर सकते लेकिन इच्छाओं के अभाव में न तो हम कर्म कर सकते हैं और न ही लक्ष्य हासिल कर सकते हैं। इच्छाएं कीजिए। इच्छा करना गलत नहीं है, लेकिन हमारी इच्छाएं कैसी हों, यह देखना बहुत महत्त्वपूर्ण है। इच्छाएं अनंत हो सकती हैं। व्यक्ति को चाहिए कि सही इच्छाओं को उत्पन्न करने या चुनने की क्षमता का विकास करे। …….दिल से धन्यवाद आपका हौसला अफजाई के लिए

  • गुरमेल सिंह भमरा लंदन

    गुंजन जी , बस यही संसार है , इसे माया कह लें लेकिन हम ने यहाँ ही रहना है . अगर हम सब कुछ छोड़ दें दुनीआं जंगल बन जायेगी . कविता अच्छी लगी .

  • विजय कुमार सिंघल

    अच्छी हाइकु. काफी स्पष्ट भी हैं.

  • उपासना सियाग

    बहुत बढ़िया हाइकु ….ये जीवन माया जाल है …

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