****तुम न आये***
प्रेम की परिभाषा
………कभी विरह तो कभी मिलन
………नए तराने नए अफ़साने
………वो उलझे रिश्ते
आये न जो तुम ………कभी सुलझाने
वो भूले गीत ………वो भूली यादें
एक पल हँसना ……..पल में रूठ जाना
चिंतन तो कभी घुटन ……..वो पुराने किस्से
कुछ कहे तो ……..कुछ अनकहे
आये न जो तुम ……..कभी सुनने सुनाने
ख़ामोशी का दर्द ……..नासूर बन
जीवन भर सालता रहा
……..आये न जो तुम कभी मरहम लगाने
……..मिला तुमसे ज़िन्दगी में कभी दर्द तो
……… कभी अथाह प्रेम
आये न जो तुम ………कभी जतलाने ।
waah ..sundar
बहुत अच्छी कविता .
बहुत खूब, गुंजन जी.