सच की ताकत
सच्चाई के लिए लड़ते हुए ,
खोया बहुत कुछ ,
पाया -पाया कुछ भी नहीं |
फिर भी गर्व है खुद पर ,
गर्व से सर उठा चलते है ,
आँख से आँख मिला कहते है ,
पीछे कदम नहीं हटाते है ,
आगे ही आगे बढ़ते जाते है |
सच कहते है सच्चाई में ,
एक अजीब सी शक्ति है ,
जो ना हमें झुकने देती है ,
ना ही रुकने देती है |
गर्व से सर उठा चलते जाते है,
सच्चाई के लिए लड़ते जाते है | ||सविता मिश्रा ||
बहुत खूब दीदी।
दिल से आभारsis
बहुत अच्छी कविता बहन जी , सच्चा और इमानदार शख्स इज़त से जीता है और सीना तान कर चलता है . बेईमान और झूठा इंसान बाहर से जो मर्जी दिखाई दे, भीतर से ज्वालामुखी फट रहे होते हैं .
दिल से आभार भैया _/_
बढ़िया और प्रेरक कविता, बहिन जी.
शुक्रिया भैया _/_