ख्याल
पेड़ भी रात भर सोचते होंगे
पत्ते मेरे बारे में बोलते होंगे
सितारे दूर आकाश से मुझे देखते हैं
रात के सन्नाटे मेरे साथ जागते होंगे
सरसराती हुई आती है ठंडी हवा
कोहरे मेरे छत पर टहलते होंगे
शबनम की बूँदो से नम हो जाता है आँगन
जाते जाते सपने पैरो के निशाँ छोड़ते होंगे
दरवाजे खिड़कियाँ पर्दे मेरे साथी है
पंखे मेरे ख्यालों के साथ घूमते होंगे
यह सोच कर की मुझसा कोई दूसरा भी है
चाँद के संग बादल मन मे मेरे झाँकते होंगे
किशोर कुमार खोरेंद्र
बढ़िया.
shukriya vijay ji
shukriya vijay ji