कविता

मंझधार

बिना शब्दों के तुझे लिखने लगा हूँ

क्षितिज से मै तुझे दिखने लगा हूँ

शमा बनकर तू जल उठी है
मै परवाने सा मिटने लगा हूँ

जगमगाती सड़कें रात भर खामोश ही रहे
टिमटिमाते तारों के कहने पर चलने लगा हूँ

झील की सतह पर चाँद उतर आया है
तेरी आँखों में परछाई सा उभरने लगा हूँ

दर्द के सागर से यादों की एक तेज लहर आई है
साथ साथ उसके अब मैं मंझधार में बहने लगा हूँ

किशोर कुमार खोरेंद्र

किशोर कुमार खोरेंद्र

परिचय - किशोर कुमार खोरेन्द्र जन्म तारीख -०७-१०-१९५४ शिक्षा - बी ए व्यवसाय - भारतीय स्टेट बैंक से सेवा निवृत एक अधिकारी रूचि- भ्रमण करना ,दोस्त बनाना , काव्य लेखन उपलब्धियाँ - बालार्क नामक कविता संग्रह का सह संपादन और विभिन्न काव्य संकलन की पुस्तकों में कविताओं को शामिल किया गया है add - t-58 sect- 01 extn awanti vihar RAIPUR ,C.G.

2 thoughts on “मंझधार

  • गुरमेल सिंह भमरा लंदन

    अच्छी कविता .

  • विजय कुमार सिंघल

    बढ़िया. लेकिन यह कविता ग़ज़ल की कसौटी पर खरी नहीं उतरती.

Comments are closed.