सुकून
अल्जाइमर के पनाह में जा रही एक स्त्री
तल्खी-ए-हालात का आलम खो गया सुकून
न की ख़ुद से दोस्ती ढूंढती रही ख़ुदा
होती रही ख़ुद से जुदा खोती रही सुकून
उसे क्या सब चाहिए था , कुछ ज्यादा
लफ्ज हो प्यारे तन्हाई के लम्हात सुकून
देखी चेहरे पे लिखी सवाली इल्ज़ाम
खोई चैन आंखों की , दिल का सुकून
कलम पकड़ी , उंगुली होती है नंगी
सोचता नंगा दिमाग , छिनता सुकून
बहुत अछे
वाह ! वाह !!