कविता

निर्निमेष निहारते हैं

 

पेड़ की ओट ..

हो जाता हू

तब भी देख लेता है

मुझे सूर्य का अरुण

मुझे ढूंढ़ लेती है

सिंदूरी किरणे हो ब्याकूल

अज्ञात की उंगलियों सा –

छू लेते है

झुकी हुई टहनियों के

सुकोमल नाखून

अपने आँचल में छिपाकर

संध्या …

रख आती है

मन्दिर के द्वार मुझे अबूझ

न निगल पाता है मुझे तिमिर

न बुझा पाते है

समीर के बदलते रुख

निर्निमेष निहारते है

मुझे

आकाश के अनंत

चमकते प्रसून

संसार की नीरवता

सुनती है तब ….

मेरी लयबद्ध धडकनों को –

अपने अनुकूल …

किशोर

 

किशोर कुमार खोरेंद्र

परिचय - किशोर कुमार खोरेन्द्र जन्म तारीख -०७-१०-१९५४ शिक्षा - बी ए व्यवसाय - भारतीय स्टेट बैंक से सेवा निवृत एक अधिकारी रूचि- भ्रमण करना ,दोस्त बनाना , काव्य लेखन उपलब्धियाँ - बालार्क नामक कविता संग्रह का सह संपादन और विभिन्न काव्य संकलन की पुस्तकों में कविताओं को शामिल किया गया है add - t-58 sect- 01 extn awanti vihar RAIPUR ,C.G.

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