कविता

कवितायेँ – मुक्तक

मनीष मिश्रा “मणि ”

समय यादों में गुजारा कुछ और
सागर में बहती धारा कुछ और
सुख भी जिया दुख भी काटा
दिया जीवन नें इशारा कुछ और

2 thoughts on “कवितायेँ – मुक्तक

  • विजय कुमार सिंघल

    अच्छा मुक्तक !

  • गुरमेल सिंह भमरा लंदन

    मनीष भाई , ग्लास में समुन्दर डाल दिया , बहुत अछे .

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