कविता एक क्षणिका *विभा रानी श्रीवास्तव 22/11/201422/11/2014 मौत का आभास नहीं मुझे लेकिन जिन्दगी में युद्ध नहीं जीने के लिए तो जीने में मज़ा नहीं ऊबना नहीं चाहते बिना समय मारे मरना नहीं चाहते
अच्छी क्षणिका. विचारणीय !
शुभ प्रभात
बहुत बहुत धन्यवाद