हाइकु ….
कुछ हाईकु अलग अलग बयानगी लिये ….
फैलाए फन
डसने को आतुर
फरेबी वक्त …………..(1)
बुझा चिराग
जीवन अभिशाप
लाचार बाप …………..(2)
मैला आँचल
बुझाती उदराग्नि
माँ वैश्या नहीं …………(3)
छू लेती नभ
बेटियाँ दें सम्मान
बदल सोच ……………..(4)
घर की धुरी
निरंतर घूमती
थकती कहाँ …………….(5)
प्रवीन मलिक ………… .
हाइकु शैली का बेहतर उपयोग.
Pravin malik ji..sare muktak badiya hei.
Aur 3rd & 4th to fect vyak kiya hei aapne.
sabhi achchhe lage