न्योंछावर
ख्वाब सा तेरा आना फिर चले ज़ाना
मैं तो बन गया हूँ एक अफ़साना
वो कौन है लोग पूछने लगे हैं
जिसका हो गया हूँ मैं दीवाना
वो कोई और नहीं ,है मेरी एक कल्पना
तलाश लिया है मैने ,जीने का बहाना
मुझमे रोज खिलते है भावनाओं के गुलाब
सीख लिया हूँ उन्हे चुनकर हार् बनाना
मैं खुद से कब तक कैसे प्यार करुँ
जी चाहता हैं तुम पर न्योंछावर हो ज़ाना
किशोर कुमार खोरेंद्र
खूभ बहुत खूब भाई साहिब .
बढ़िया !
shukriya vijay ji