मुक्तक
रहते हो दूर फिर भी दिल के करीब हो तुम
बनकर याद आँखों से अश्रु बन बहते हो तुम
दिल पर रख पत्थर कोशिश की भुलाने की
पर बनकर अहसास करीब रहते हो तुम ।
shukriya aa kishor sir ji
shukriya vijay bhai
वाह !
nice