कविता

मेरे लिए खूबसूरती का मतलब तुम हो

मेरे लिए खूबसूरती का मतलब तुम हो

चाहे ओस से भींगा रह गया
गुलाब का अब तक
एक फूल हो

चाहे सूर्यमुखी का रंग चुरा
आँगन मे खिल आयी
धूप हो

लेकीन …
मेरे लिए खूबसूरती का मतलब तुम हो

चाहे चांदनी रात की बांहों मे
गर्म साँसों से
पिघल रहा
पर्वतो का हिम हो

चाहे झील मे चाँद की डली कों
मिश्री सा
घोल रहा व्योम हो

लेकीन मेरे लिये खूबसूरती का मतलब तुम हो

तुम्हारे नयनो का
सम्मोहन भी
खिंचता खूब है

तुम्हारे अधरों पर
मुस्कुराता है प्यार
जैसे झर रहें
पुष्प हो

तुम्हारी वाणी कों
लिखती है मेरी कविता
मानो उसके शब्दों मे
छिपा प्रेम का रहस्य गूढ़ हो

मेरे लिए खूबसूरती का मतलब तुम हो

मेरी धडकनों मे
तुम्हारे नाम की गूंज है

मेरी स्मृति के हर पन्नो पर
अंकित
तुम स -रूप हो

मन की आँखों से तुम्हारा
सौन्दर्य निहारता हूँ
अपने सम्मुख
चाहे …..
रहती तुम मुझसे दूर हो

मेरे लिए खूबसूरती का मतलब तुम हो

— किशोर

किशोर कुमार खोरेंद्र

परिचय - किशोर कुमार खोरेन्द्र जन्म तारीख -०७-१०-१९५४ शिक्षा - बी ए व्यवसाय - भारतीय स्टेट बैंक से सेवा निवृत एक अधिकारी रूचि- भ्रमण करना ,दोस्त बनाना , काव्य लेखन उपलब्धियाँ - बालार्क नामक कविता संग्रह का सह संपादन और विभिन्न काव्य संकलन की पुस्तकों में कविताओं को शामिल किया गया है add - t-58 sect- 01 extn awanti vihar RAIPUR ,C.G.

One thought on “मेरे लिए खूबसूरती का मतलब तुम हो

  • विजय कुमार सिंघल

    अच्छी कविता !

Comments are closed.