वो हिन्दू थे
उन्होंने विपत्ति को
आभूषण की तरह
धारण किया
उनके ही घरों में आये
लोगों ने
उन्हें काफ़िर कहा
क्योंकि
वो हिन्दू थे।
उन्होंने
यूनान से आये घोड़ो का
अभिमान
चूर – चूर
कर दिया
सभ्यता ने
जिनकी वजह से
संसार में जन्म लिया
वो हिन्दू थे।
जिन्होंने
तराइन के मैदान में
हंस – हंस के
हारे हुए
दुश्मनों को
जीवन दिया
वो हिन्दू थे।
जिनके मंदिर
आये हुए लुटेरो ने
तोड़ दिए
जिनकी फूल जैसी
कुमारियों को
जबरन अगुआ करके
हरम में रखा गया
जिन पर
उनके ही घर में
उनकी ही भगवान्
की पूजा पर
जजिया लगया गया
वो हिन्दू थे।
हा वो
हिन्दू थे
जो हल्दी घाटी में
देश की आन
के लिए
अपना रक्त
बहाते रहे
जिनके बच्चे
घास की रोटी
खा कर
खुश रहे
क्योंकि
वो हिन्दू थे।
हाँ वो हिन्दू हैं
इसलिए
उनकी लडकियों की
अस्मत का
कोई मोल नहीं
आज भी
वो अपनी ज़मीन
पर ही रहते हैं
पर अब
उस ज़मीन का
नाम पकिस्तान है।
अब उनकी
मातृभूमि का नाम
पाकिस्तान है
इसलिए
अब उन्हें वहाँ
इन्साफ
मांगने का हक नहीं
अब उनकी
आवाज़
सुनी नहीं जाती
‘दबा दी जाती है’
आज उनकी लड़कियां
इस डर में
जीती हैं
अपहरण होने की
अगली बारी उनकी है।
क्योंकि उन मासूमो
में से
रोज़
कोई न कोई
रिंकल से फरयाल
जबरन
बना दी जाती हैं
इसलिए
जिनकी बेटियां हैं
वो हिन्दू है
और उनके
पुर्वज
हिन्दू थे।
( लोकसत्य, प्रवक्ता, कलम से, हिंदी काव्य संकलन और रचनाकार आदि में प्रकाशित)
सुधीर मौर्य ‘सुधीर’
गंज जलालाबाद, उन्नाव
209869
विचारणीय एवं प्रसंशनीय। हमारी दुर्दशा का कारण सत्य की अवहेलना, अज्ञान, अति दयालुता, यथायोग्य व्यव्हार को भूलकर दुष्टो के प्रति भी दया प्रदर्शित करना, मूर्ती पूजा, फलित ज्योतिष, सामाजिक असमानता, छुवाछूत आदि अनेक कमजोरियां रही है। सत्यार्थ प्रकाश ने हमें स्वयं को पहचानने की शक्ति दी है और हमें अपनी कमजोरियों को दूर करने के साथ सत्य का ज्ञान कराया है और उस पर चलने की प्रेरणा दी है। सत्यार्थ प्रकाश को पढ़कर हमें पता चला है कि संसार में पूर्ण सत्य केवल एक ग्रन्थ है और वह ईश्वरीय ज्ञान वेद है। मनुष्य अल्पज्ञ है और उसकी बनाई हुई कोई भी चीज पूर्ण निर्दोष कदापि नहीं हो सकती है चाहे वह धर्म ग्रन्थ ही क्यों न हों।
बहुत खूब !