कहानी

क्षितिजा और अदिति

‘तो आपने शादी नहीं की, मतलब गैर शादीशुदा हो ?’ मेरे सवाल पे वो तनिक करीब आते हुए बोली ‘हाँ कुणाल मैने कभी किसी से शादी नहीं की, मतलब मै कभी किसी की पत्नी नहीं बनी।’ उनकी बात सुनकर न जाने क्यों मैं खामोश हो गया था। अपनी बात कह कर खामोश तो वो भी […]

कहानी

लम्बी कहानी : छोटी अम्मा की बेटी

मेरे पिता ज़मीदार नहीं थे पर उनका रुतबा किसी ज़मीदार से कम नहीं था। उनका रुतबा होता भी कैसे कम वो एक ज़मीदार के बेटे और ज़मीदार भाई थे। मेरे पिता तीन भाई थे और तीनो में वे छोटे। मेरे पिता के दोनों बड़े भाई स्कूल से आगे नहीं गए। सच तो ये प्राइमरी स्कूल […]

लेख

तैमूर नाम रखने के पीछे का सच – सुधीर मौर्य

यद्द्पि मुगलिया सल्तनत 1857में ही ख़त्म हो गई थी पर वो फिर भी इसी आस में रहे की कभी न कभी अंग्रेजो के जाने पे वही इस देश के शासक होंगे। जब 1947 में उन्हें लगा वे शासक नही बन रहे तो उन्हें बहुत दुःख हुआ साथ ही साथ वे गुस्से से उपल पड़े। जगह […]

कहानी

एक बेबाक लड़की की कहानी – सुधीर मौर्य

प्रिया ने मुझसे पूछा ये BHMB क्या होता है। मैने गौर से प्रिया को देखकर कहा ‘नहीं जानता।’ मेरा जवाब सुनकर प्रिया ने कहा ‘उ ऊ ह , तुम कुछ नहीं जानते चलो मै किसी और से पूछ लूंगी।’ कह कर प्रिया जाने लगी तो मैने उसे रोककर कहना चाहा ‘मै इसका जवाब जानता हूँ […]

लघुकथा

अबूझ किताब – सुधीर मौर्य

उसने कहा था एक दिन खुली किताब हूँ मैं। पढ़के जान लो मुझे। एक सर्द शाम में, मैं ये जान पाया था। उस किताब की भाषा मेरे लिए अबूझ थी। और उसी शाम मुझे अनपढ़ कह कर उसने वो किताब किसी पढ़े हुए की सेल्फ में रख दी थी। और कुछ बरसों बाद उस पढ़े […]

कविता

दिसम्बर की आवारा धूप – सुधीर मौर्य

दिसम्बर के महीने में वो मिली थी उस धूप के बादल से दिन और तारीख उसे अब याद नहीं सुबह और शाम की ठिठुरती ठण्ड में कितना प्यारा लगता था उसे धूप का साथ और एक सर्द शाम में सो गई थी वो ओढ़ कर धूप की चादर और अगली सुबह महसूस किया था उसने […]

कविता

प्रेम – परिंदे – सुधीर मौर्य

नहीं मैं नहीं चाहता तुम मेरे लिये संयोग और वियोग की नज़्में लिखो नही मैं नहीं चाहता तुम अपने मन के किसी कोने में मुझे धारण करके मेरी इबादत करो नहीं मे नहीं चाहता मुझे हर जन्म में तुम अपना देवता मान लो बस प्रिये ! मैं चाहता हूँ तुम मेरे साथ चलो उस राह […]

कविता

शरीफ लड़की – सुधीर मौर्य

तुम ने कहा था एक दिन शरीफे के पेड़ के नीचे ‘शरीफ लड़कियों’ की निशानी है ये देह का बुरका मैने मान लिया था उस शाम तुम्हारी उस बात को मेरे गले लगते ही चिहुंक पड़ी थी तुम उस सुनहरी शाम में और आँख बंद करके तुमने उतार दिया था वो काला बुरका अपनी देह […]

कहानी

अधूरे फ़साने की मुकम्मल नज़्म (कहानी) – सुधीर मौर्य

कितना जादू है उसकी कहानियों में, कवितायों में। जब भी पड़ती है वो उसकी कोई भी रचना न जाने क्यों एक सिहरन सी मच जाती है उसकी नवविकसित देह में। उसके अल्हड़ मन में। उसकी पवित्र अंतरात्मा में। ढेर सारी कहानियां और नज़्में पढ़ी है उसने उस मशहूर लेखक की। कुछ उपन्यास भी। उसे जानकार […]

कहानी

खुसरो अमीर के बलि बलि जायें – सुधीर मौर्य

परियों, तितली, राजा-रानी की कथाएँ कभी पुरानी होती है क्या-कभी नहीं जब सुनो तब नई। एक जमाने में बुझोपुर में एक राजा था। बुझोपुर-शायद उस राज्य का पहले नाम कुछ और रहा होगा पर अब था बुझोपुर। इसके पीछे भी एक कथा है। राजा था पहेलियां बूझने और बुझवाने का बड़ा रसिया। दरबार का राज […]