क्षितिजा और अदिति
‘तो आपने शादी नहीं की, मतलब गैर शादीशुदा हो ?’ मेरे सवाल पे वो तनिक करीब आते हुए बोली ‘हाँ
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Read Moreमेरे पिता ज़मीदार नहीं थे पर उनका रुतबा किसी ज़मीदार से कम नहीं था। उनका रुतबा होता भी कैसे कम
Read Moreयद्द्पि मुगलिया सल्तनत 1857में ही ख़त्म हो गई थी पर वो फिर भी इसी आस में रहे की कभी न
Read Moreप्रिया ने मुझसे पूछा ये BHMB क्या होता है। मैने गौर से प्रिया को देखकर कहा ‘नहीं जानता।’ मेरा जवाब
Read Moreउसने कहा था एक दिन खुली किताब हूँ मैं। पढ़के जान लो मुझे। एक सर्द शाम में, मैं ये जान
Read Moreदिसम्बर के महीने में वो मिली थी उस धूप के बादल से दिन और तारीख उसे अब याद नहीं सुबह
Read Moreनहीं मैं नहीं चाहता तुम मेरे लिये संयोग और वियोग की नज़्में लिखो नही मैं नहीं चाहता तुम अपने मन
Read Moreतुम ने कहा था एक दिन शरीफे के पेड़ के नीचे ‘शरीफ लड़कियों’ की निशानी है ये देह का बुरका
Read Moreकितना जादू है उसकी कहानियों में, कवितायों में। जब भी पड़ती है वो उसकी कोई भी रचना न जाने क्यों
Read Moreपरियों, तितली, राजा-रानी की कथाएँ कभी पुरानी होती है क्या-कभी नहीं जब सुनो तब नई। एक जमाने में बुझोपुर में
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