कहानी

 लम्बी कहानी – ‘रखैली’ भाग – 1

भाग – 1

(1)
सज्जाद की पहेली

‘आप यहाँ… ?’
सारिका ने उसे दूर से देख लिया था लेकिन पार्टी की गहमा – गहमी के बीच उसके पास तुरंत न पहुँच सकी थी। लेकिन वो जैसे ही उसके करीब पहुंची उसने उस से पूछ लिया था।
पूछते वक़्त सारिका के चेहरे पर आश्चर्य करवटें ले रहा था।
‘ओ हाय आप यहाँ, व्हाट आ.. प्लेजेंट सरप्राइज़।’ उस युवक ने सारिका को देखकर आश्चर्य व्यक्त करते हुए कहा और साथ ही उसने अपना दांया हाथ उसने सारिका की जानिब बढ़ा दिया।
सारिका ने गर्मजोशी दिखते हुए उस युवक का हाथ अपनी गर्म और मखमली हथेली में कैद करते हुए पूछा ‘अरे ये तो हमारा मुल्क है हम यहाँ नहीं होंगे तो फिर कहाँ होंगे। कहकर सारिका ने युवक के चेहरे पर आँखें गड़ाई तो वो उसे ही देखे जा रहा था। युवक को यूँ खुद को निहारते देखकर सारिका को अपनी सुंदरता और बॉडी फिगर पर थोड़ा प्राउड हुआ। अपने इस प्राउड अपने होठों पर मुस्कान की शक्ल में बिखेर कर उसने युवक से पूछा ‘सज्जाद जानना तो हम ये चाहते हैं कि आप यहाँ कैसे… ?’
सज्जाद ने सारिका का हाथ अपने हाथ में हलके से दबाते हुए कहा ‘लगता है मोहतरमा मुझे अपना नहीं समझती ?’
सारिका, सज्जाद की बात सुनकर क्या जवाब दे यह सोच ही रही थी कि सज्जाद वापस बोल पड़ा ‘अरे मैडम ने ही तो अपने पाकिस्तान के दौरे पर कहा था कि वो दो मुल्कों की सरहद को अमन और प्यार के बीच नहीं आना देना चाहती। तो मोहतरमा की बात पर अमल करते हुए हम भी आ गए सरहद को पार कर के अमन और प्यार के लिए।’
‘ओ हाँ श्योर…।’ सारिका बोली अमन और प्यार के बीच कुछ भी नहीं होना चाहिए।’
सारिका की बात सुनकर सज्जाद ने उसे मुस्कराकर देखा तो सारिका बोली ‘चलो ड्रिंक लेते हैं।’
ड्रिंक का पहला सिप लेते हुए सज्जाद बोला ‘सारिका जी आपकी पाकिस्तान में कही गई बातों ने मुझ पर काफी असर डाला। मुझे लगा चलकर इण्डिया की आबोहवा देखनी चाहिए।’
‘तो कैसे लगा इण्डिया ?’ सारिका ने विह्स्की का एक हल्का घूंट लेकर पूछा।
‘ब्यूटीफुल।’ सज्जाद ने सारिका को सरापा देखते हुए कहा तो सारिका की सुंदरता वापस गर्व से थोड़ा तन गई।
सज्जाद सारिका की खूबसूरती और फिगर का आँखों से रसपान करते हुए बोला ‘इन्फेक्ट मैं तो इसे अपना मुल्क ही समझता हूँ। वैसे भी सैतालिस से पहले ये हमारा ही मुल्क था और अब…।’
सज्जाद ने अपनी बात अधूरी छोड़कर सारिका की आँखों में देखा।
सारिका ने सज्जाद की आँखों में देखते हुए पूछा ‘और अब …?’
‘और अब ये कि आप जैसी खूबसूरत औरत हमारी है।’
‘ड्रिंक खत्म करके काउंटर गर्ल को दूसरा ड्रिंक देने को कह के सारिका बोली ‘सज्जाद मियां आपकी बात में दो पेंच हैं ?’
‘कैसे पेंच ?’ सज्जाद ने पूछा।
दूसरी ड्रिंक का एक सिप लेकर सारिका बोली ‘पहला तो ये कि मैं औरत नहीं लड़की हूँ।’ कहते हुए सारिका की काली गहरी आँखे थोड़ी नशीली हो गई थी। शायद उस पर ड्रिंक और सज्जाद की बातों का दोहरा नशा हावी हो रहा था।
‘ओ… हाँ.. हाँ… ये तो हमसे बड़ी गलती हो गई। शायद गुनाह हो गया मुहाफ़ करें हमारे तो जेहन से ही निकल गया, मैडम जीऔरत नहीं लड़की हैं।’ सज्जाद ने कहा और सारिका के उन्नत वक्षों पर नजर टिकाते हुए मद्धिम आवाज़ में बोला ‘और शायद वर्जिन भी।’
हालाँकि सारिका एक जॉर्नलिस्ट थी बिंदास और बोल्ड। पर फिर भी सज्जाद की कही गई ‘वर्जिन’ वाली बात सुनके उसने अपनी गर्दन थोड़ी झुका दी।
‘क्या अब भी खाकसार ने कोई झूठ बोला दिया या फिर कोई गुनाह तो नहीं हो गया हमसे।’ सज्जाद ने सारिका की ओर अपना सर थोड़ा झुकाते हुए कहा तो सारिका अपनी झुकी हुई गर्दन को सीधा करके बोली ‘नहीं नहीं इट्स ओके।’
‘अच्छा सारिका जी आपने वो दो पेंच की बात कही थी तो वो दूसरा पेंच क्या है ?’
‘दूसरा पेंच ये है सज्जाद मिया।’ सारिका एक सोफे पर बैठ कर सज्जाद को भी इशारे से बैठने को कह के बोली ‘कि आपने हमें हमारी मीन्स अपनी कहा तो हम तो किसी के नहीं हैं अभी तक।’
सज्जाद भी बैठ चुका था। सारिका की स्कर्ट खिसक कर घुटने के ऊपर आ गई थी। उसके मखमली घुटने का दीदार करते हुए सज्जाद बोला ‘अब आप सरहदे नहीं मानती, धर्म – मजहब नहीं मानती ऊपर से हमारे मुल्क पाकिस्तान को आपने अपने स्पीच में अपना कहा तो आप हुई न हमारी।’
सारिका ने सज्जाद को देखा। उसे अपना घुटना और टांग देखने का भी उसे एहसास हुआ। पर वो वैसे ही पोजीशन में रही। अपनी स्कर्ट को दुरस्त करने की उसने कोई जरुरत नहीं समझी।
‘तो क्या सारिका जी खुद को हमारी नहीं समझती ?’ सारिका को मौन देख कर सज्जाद ने सवाल किया।
‘सज्जाद जी वो सब अपनापन है। हमारी नजर में सब धर्म – मजहब एक हैं इसलिए हम सब एक एक हैं। ये धरती एक हैं इसलिए मुल्क की सरहदों में इंसान को बांधना फजूल है इस लिहाज से भी हम सब एक हैं, सब अपने हैं। पर सज्जाद जी इस सबके इतर भी अपना होना, हमारा – हमारी होने के कुछ अलग भी मायने होते हैं, खासकर किसी लड़की के लिए।’
‘अच्छा तो आप कहना चाहती हैं।’ सज्जाद की बात बीच में ही रोक कर सारिका बोली हाँ सज्जाद जी हम कहना चाहते है कि कोई लड़की किसी की तब होती है जब वो उसकी प्रेमिका हो या फिर वो उसका पति हो।’

क्रमश:
–सुधीर मौर्य

सुधीर मौर्य

नाम - सुधीर मौर्य जन्म - ०१/११/१९७९, कानपुर माता - श्रीमती शकुंतला मौर्य पिता - स्व. श्री राम सेवक मौर्य पत्नी - श्रीमती शीलू मौर्य शिक्षा ------अभियांत्रिकी में डिप्लोमा, इतिहास और दर्शन में स्नातक, प्रबंधन में पोस्ट डिप्लोमा. सम्प्रति------इंजिनियर, और स्वतंत्र लेखन. कृतियाँ------- 1) एक गली कानपुर की (उपन्यास) 2) अमलतास के फूल (उपन्यास) 3) संकटा प्रसाद के किस्से (व्यंग्य उपन्यास) 4) देवलदेवी (ऐतहासिक उपन्यास) 5) मन्नत का तारा (उपन्यास) 6) माई लास्ट अफ़ेयर (उपन्यास) 7) वर्जित (उपन्यास) 8) अरीबा (उपन्यास) 9) स्वीट सिकस्टीन (उपन्यास) 10) पहला शूद्र (पौराणिक उपन्यास) 11) बलि का राज आये (पौराणिक उपन्यास) 12) रावण वध के बाद (पौराणिक उपन्यास) 13) मणिकपाला महासम्मत (आदिकालीन उपन्यास) 14) हम्मीर हठ (ऐतिहासिक उपन्यास ) 15) अधूरे पंख (कहानी संग्रह) 16) कर्ज और अन्य कहानियां (कहानी संग्रह) 17) ऐंजल जिया (कहानी संग्रह) 18) एक बेबाक लडकी (कहानी संग्रह) 19) हो न हो (काव्य संग्रह) 20) पाकिस्तान ट्रबुल्ड माईनरटीज (लेखिका - वींगस, सम्पादन - सुधीर मौर्य) पत्र-पत्रिकायों में प्रकाशन - खुबसूरत अंदाज़, अभिनव प्रयास, सोच विचार, युग्वंशिका, कादम्बनी, बुद्ध्भूमि, अविराम,लोकसत्य, गांडीव, उत्कर्ष मेल, अविराम, जनहित इंडिया, शिवम्, अखिल विश्व पत्रिका, रुबरु दुनिया, विश्वगाथा, सत्य दर्शन, डिफेंडर, झेलम एक्सप्रेस, जय विजय, परिंदे, मृग मरीचिका, प्राची, मुक्ता, शोध दिशा, गृहशोभा आदि में. पुरस्कार - कहानी 'एक बेबाक लड़की की कहानी' के लिए प्रतिलिपि २०१६ कथा उत्सव सम्मान। संपर्क----------------ग्राम और पोस्ट-गंज जलालाबाद, जनपद-उन्नाव, पिन-२०९८६९, उत्तर प्रदेश ईमेल ---------------sudheermaurya1979@rediffmail.com blog --------------http://sudheer-maurya.blogspot.com 09619483963