समाज का कोढ़ दहेज ……
अभी दहेज पर खून खौल रहा है और अतीत से यादों के कीलें चुभ रहे हैं …..
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काली रात दिवाली से दो दिन पहले करीब ३८ – ३९ साल पहले चाची को मुक्ति मिल गई ….. चाची मेरे गाँव के विनय चाचा की पत्नी थीं ….. दहेज के बल पर ही चाचा उनसे शादी किये थे क्यूँ कि चाची के चेहरे पर बड़ी माता (चेचक) का दाग था …. दादी उनको खदबदाहिया बुलाती ही थी ….. चाची के मइके और ससुराल के हैसियत में कोई तुलना ही नहीं था ….. मइके सुखी सम्पन्न संस्कारों वाला परिवार था तो ससुराल विलोम …. चाची का गोद सुना रहा तो एक विशेषण बनझिया भी जुड़ गया …. बाँझ तो चाचा के एक एक कर चार पत्नी भी रही …..
=किसी को कहाँ पता चला कि चाची को नंगा कर खटिया में बाँध कर एक कमरे में भूखे प्यासे ना जाने कितने दिन रखा गया …. ना जाने प्राण कहां छिप के बैठा था … शरीर जलाने के बाद निकला …..
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दहेज की बात कब शुरू होती है
जब लडकी के पिता की मुलाक़ात
लडके के पिता से होती है
असलियत कब तक छिपी होती है
जब तक रिश्ता बनने की बात
शुरू नही होती है
तभी तो सुरसा मुँह खोलती है
क्यूँ लड़की के पिता मजबूर होते हैं ऐसे घर में अपनी बेटी देने के लिए
समाज का कोढ़ परम्परा लडकी बोझ होती है …..
दहेज दानव एक जिन्दगी लील लेता है …..
शशी दी के पति अपने ससुर से एक कट्ठा जमीन मांगते हैं शशी दी को विदा करा कर ले जाने के लिए ….. शशि दी मेरी रिश्ते की बहन रीता दीदी की ननद …..
रीता दी ही मना कर देती हैं कि नहीं दिया जाएगा जमीन ,हलांकि बहुत जमीन था उनके घर में ……
शशि दी की विदाई नहीं हो पाती है ….. तीन बेटियों के साथ सम्पन्न मइके में भी उनको नही रहने दिया गया ….. समय बीतता गया …. दहलीज नही होने के कारण उनकी दो बेटियां जिसके घर में काम करती थी वहीँ दुल्हन बन गई …. छत हिन्दू का नही मिला …. एक लडकी लापता हो गई ….. शशि दी मन्दिर में सहारा ली …. जहाँ वो हर रात रौंदी जाती …. भगवान और पुजारी हिन्दू मर्द के थे …. शशि दी का मानसिक संतुलन खो चुका था …. अब वो जिन्दा हैं या नहीं पता नहीं … या कोई बताना नहीं चाहता ….. हमारा हिन्दू समाज …. मुझे कोई गाली नही आती है …. लेकिन देने का मन करता है …..
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दहेज़ पर एक और अच्छी रचना.
बहुत बहुत धन्यवाद आपका भाई
1- ghar me ladaka jnm le , ,,2- shadi ho to kanya paksh se dahej mile ..3-chhuaa -chhut ki ye ku -manovritiya ,,striyon ko jine nahi deti …aapka lekh atyant maarmik hai ..
आभारी हूँ ….. बहुत बहुत धन्यवाद आपका