कर्म
आज भागवत गीता पढ़ते हुये ख्याल आया कि कर्म चक्र सदैव चलला है, कभी नहीं रूकता फिर हम लोग क्यों आपस में बैर रख कर या किसी दूसरे का बुरा चाह कर अपना कर्म खराब करें, जिन्होने हमें दुख दिया है या दुख का कारण बने हैं तो उनका कर्म एक दिन वापस घूम कर उन तक पहुंचना ही है, हम अक्सर किस्मत को दोष देने लगते हैं जब भी हमारे साथ कुछ बुरा होता है और समझ नहीं पाते ये हमारा कर्म ही लौट कर हम तर पहुंचा है, इसी तरह जिन्होने हमें दुख दिया है वो भी चैन से नहीं सो सकते , उनका कर्म भी घूम कर उन तक पहुंचेगा ज़रूर , चाहे वो उसे पहचाने या न पहचाने,
आप अपना कर्म करें ,फल की चिंता किये बिना , आप का कर्म लौट कर आप तक ज़रूर आएगा , ये विश्वास रखें .
हम क्या ले कर आये थे और क्या लेकर जायेंगे, बस कर्म ही हमारे साथ जायेगा.