मुझसे अच्छी है ..मेरी सुंदर कविता
मुझसे अच्छी है
मेरी सुन्दर कविता
तुम जो कहती हो
वही तो .हूँ मै लिखता
मै स्थिर शांत
तट हूँ
तुम हो
बहती हुई चंचल सरिता
सुनकर …लहरों के
मन की आपस में
बोली और ठिठोली
पढ़ना और लिखना मै सीखता
मै विस्तृत ..एकांत सा
एक मंदिर
तुम करती हो मेरी शुभ चिंता
लिए भावनावो का अमृत जल
कर जाती हो..
गंगा सी मेरी पवित्र परिक्रमा
प्रात: और संध्या में ..
देखकर तुम्हारी
बहुरंगीय ..अद्वितीय ..गरिमा
मेरी आँखों को भी
अदृश्य का
दृश्य अलौकिक है दिखता
मुझसे अच्छी है
मेरी सुन्दर कविता
तुम जो कहती हो
वही तो ..हूँ मै लिखता
किशोर कुमार खोरेंद्र
अच्छी कविता !