कहानी

कहानी – खूबसूरत

उम्र के हिसाब से उसका बचपन छूटा जा रहा था.. आइना उसका अच्छा दोस्त बनता जा रहा था… खुद को करीब से अपलक निहारना उसकी दिनचर्या का एक हिस्सा बन गया था .. ऐसा होता है सबके साथ इस उम्र में.. खूबसूरत दिखने के हर नुस्खे को आज़माना चाहता था वह और कुछ कुछ में कामयाब भी हो जाता था.. खूबसूरत बनने की हर एक कोशिश की सफलता उसमे कुछ खास एहसास जग देती थी ..

कब दिन ढल गया पता ही नहीं चला .. शाम ढलती गयी और रात ने पैर पसारने शुरू कर दिए थे .. पलंग पर लेटते ही नींद की आगोश में चला गया.. खवाबो के समंदर में उसका वजूद बेहटा चला गया .. खुद को आईने के सामने पाया और खुद को करीब से निहारा.. चेहरे पे कुछ अनचाहे छोटे छोटे काले बिंदु उसे अच्छे नहीं लग रहे थे.. लग रहा था की यह उसकी ख़ूबसूरती को कम कर रहे है.. उन बिन्दुओ को ध्यान में रखे घर से निकल पड़ा..
आज उसने सभी कालांश में उपस्तिथि दर्ज़ करवाई.. पूरा ध्यान लगा कर जो सिखाया जा रहा था सीखा .. दोस्तों से भी जयादा बात नहीं की और बात करने वाले दोस्तों को भी पहले पढ़ने के लिए बोलता रहा.. कुछ अलग सा महसूस कर रहा था आज वह अपने अंदर.. कालांश खत्म होते होते भूख लगने लगी थी.. सोचा माँ ने जो खाना रखा है खा लेता हूँ .. माँ के हाथ में जो स्वाद है उसका लालच भी अपना असर दिखा रहा था..

टिफ़िन खोला और कुछ निवाले ही खाए होंगे की देखता है एक बच्चा बड़ी हसरत भरी नज़रो से उसकी तरफ देख रहा है.. उसकी नज़रे उसके टिफ़िन पर जम जाती थी लेकिन वह बार बार अपनी नज़रो को हटाने के निरर्थक प्रयास करता.. उस बच्चे को पास बुलाया और सारा खाना दे दिया.. भूख तो सता रही थी मगर ..

बच्चा जैसे जैसे खाना खता जा रहा था पेट भरने की वजह से उसके चेहरे पे एक अच्छा सा भाव आने लगा था.. खुद उसे भी अंदर से अच्छा महसूस हो रहा था..

उसके चेहरे पर अच्छे भाव देख लार वह भी निकल लिया घर की तरफ.. घर में आते ही वह रुक गया मानो किसी ने रोक लिया हो .. समझ गया ना.. हाँ आइना ही था .. उसके कदम चल पड़े आईने की ओर..

अपनी आदत के अनुसार उसने खुद को निहारना शुरू किया.. उसे वह छोटे छोटे काले बिंदु नहीं मिले जिसकी वजह से वह सुबह कुछ परेशान हो गया था.. फिर गौर से देखा पर फिर भी नहीं मिले.. हैरत लिए माँ से पूछने लगा की सुबह जो उसे छोटे छोटे काले बिंदी दिख रहे थे वह अब नहीं है..

माँ.. हंस पड़ी और बोली कुछ अच्छा काम किया होगा तो उसका नतीजा अच्छा ही मिलेगा ना .. अरे वाह.. उसे एक नया नुस्खा मिल गया था खूबसूरत दिखने का खूबसूरत बनने का.. हर कोई नहीं जनता यह नुस्खा.. उसका अच्छा मन उसके चेहरे की रौनक बन गया था.. निखार गया था वह मन से और चेहरे से..

अगले दिन सुबह फिर निकल पड़ा वह और खूबसूरत बनने के लिए..

6 thoughts on “कहानी – खूबसूरत

  • विजय कुमार सिंघल

    बहुत खूबसूरत कहानी. बाहरी सुन्दरता आतंरिक सुन्दरता की दासी है. इसी को व्यक्त करती है यह लघु कथा.

    • मनीष मिश्रा मणि

      बहुत बहुत शुक्रिया आपका..

  • गुरमेल सिंह भमरा लंदन

    मनीष जी , लघु कथा बहुत पसंद आई . काले बिदु गाएब हुए या ना हुए बात यह नहीं है , बात तो यह है जब कोई किसी का दुःख दर्द समझ लेता है और उस का निवारण भी कर देता है तो वोह ख़ुशी जो उस को मिलती है उस की कीमत नहीं लगाईं जा सकती . अक्सर मैं यहाँ के एक रेडिओ को कहानिआन भेजता रहता हूँ , इसी लिए मुझे सभी प्रीजैंत्र जानते हैं . हर सन्डे को एक अमरजीत नाम की लड़की प्रोग्राम देती है . उस के पिता जी को बहुत देर से स्ट्रोक हो चुक्का है . वोह उदास रहती है . मैंने उस को दो ई कार्ड भेजे और बहुत कुछ हौसले वाले शब्द लिखे . जो जो मैंने उन कार्डों पर लिखा था उस ने दो दफा पड़ के रेडिओ पे नषर किया . मैं खुद भी एक डिसेबल हूँ , बोल नहीं सकता लेकिन उस ने मुझे भी इतनी दुआएं दी कि सारा दिन मैं बहुत खुश रहा . आप की कहानी का अर्थ यह ही है कि अगर हर इंसान किसी की मदद कर सके तो किसी का भला तो होगा ही , साथ में आप भी भीतर से हल्कापन मेहसूस करेंगे .

    • मनीष मिश्रा मणि

      आदरणीय श्री गुरमेल सिंह भमरा साहब,

      आपको लघु कथा पसंद आई और आपने उसे अपने शब्दों में सराहा उसके लिए दिल से आभार.. कहानी काले बिन्दुओं की नहीं है यह इंसान के अंदर बसी पवित्रता की है जो उसे इंसान बनता है ..

      निश्चित तौर पर आप एक अच्छे इंसान है जो आपके अविस्मरणीय अनुभव के द्वारा सिद्ध हो रहा है ..

      बहुत बहुत शुक्रिया आपका..

      मनीष मिश्रा मणि

  • अंशु प्रधान

    बहुत खूब

    • मनीष मिश्रा मणि

      बहुत बहुत शुक्रिया आपका..

Comments are closed.