कविता

****अनाम रिश्ते****

 

मौसम की तरह
रिश्ते बदल जाते हैं
शुष्क संवेदनाओं से
रिश्तों की गर्माहट
बर्फ की तरह
ठंडी पड़ जाती
आंखों में
सावन उतर आते हैं
अपने पराए हो जाते हैं
पर नही होते
सभी रिश्ते एक से
कुछ होते हैं——
रात में खिलने वाले
किसी फूल की
नशीली गंध की तरह
अनायास ही सांसों को
महकाकर सराबोर कर जाते हैं
या कहीं दुर से आती
उस मधुर संगीत की तरह
जिसमें डुबकर हम उदासीयां
भुल जाते हैं
जज्बात से भरा मन
खालिसपन, अकेलेपन को
पह्चान लेता है
जिस्म मायने नही
ऐसे रिश्ते रुह मे बसते हैं
तुम्हारा आना भी
इन फूलों की खुशबू
और संगीत की
मीठी-मीठी तरगों की तरह है
न अपेक्षाएं ,न उम्मिदें,ना बंधन
फिर भी मेरा वजूद
तुम्हारे रंग में
रंग गया है !!!

***भावना सिन्हा*

डॉ. भावना सिन्हा

जन्म तिथि----19 जुलाई शिक्षा---पी एच डी अर्थशास्त्र

3 thoughts on “****अनाम रिश्ते****

  • विजय कुमार सिंघल

    बढ़िया !

  • गुरमेल सिंह भमरा लंदन

    भावना जी , कविता बहुत अच्छी लगी , ठीक कहा रिश्ते बदल जाते हैं लेकिन कुछ रिश्ते अहसास में ऐसे वसे होते हैं जिन जिस से कुछ ऐसा सकूनं सुख व ख़ुशी मिलती है कि उन्हें कहना भी मुश्किल है .

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