लेख

मासूमियत का संहार

मासूमियत का संहार

हमला चाहें पाकिस्तान के पेशावर में हो
चाहें फिर मुंबई में हो
चाहें निर्दोष नागरिकों का क़त्ल हो
या फिर मासूम स्कूली बच्चों का निर्मम नरसंहार हो
मरती तो इंसानियत ही है
होता तो मानबता का क़त्ल ही है
एक बार फिर से इन
आंतक बादियों ने दिखा दिया है कि
बे किसी के अपने नहीं हैं
उनके लिए हिन्दू मुस्लिम एक जैसे हैं
उनके लिए जिंदगी की कोई अहमियत नहीं है
बे सिर्फ और सिर्फ हुकूमत करना चाहतें हैं
समय की मांग है कि
हम सबको इनके इरादे समझ कर
ये लड़ाई अंजाम तक ले जाएँ

मदन मोहन सक्सेना

*मदन मोहन सक्सेना

जीबन परिचय : नाम: मदन मोहन सक्सेना पिता का नाम: श्री अम्बिका प्रसाद सक्सेना जन्म स्थान: शाहजहांपुर .उत्तर प्रदेश। शिक्षा: बिज्ञान स्नातक . उपाधि सिविल अभियांत्रिकी . बर्तमान पद: सरकारी अधिकारी केंद्र सरकार। देश की प्रमुख और बिभाग की बिभिन्न पत्रिकाओं में मेरी ग़ज़ल,गीत लेख प्रकाशित होते रहें हैं।बर्तमान में मैं केंद्र सरकार में एक सरकारी अधिकारी हूँ प्रकाशित पुस्तक: १. शब्द सम्बाद २. कबिता अनबरत १ ३. काब्य गाथा प्रकाशधीन पुस्तक: मेरी प्रचलित गज़लें मेरी ब्लॉग की सूचि निम्न्बत है: http://madan-saxena.blogspot.in/ http://mmsaxena.blogspot.in/ http://madanmohansaxena.blogspot.in/ http://www.hindisahitya.org/category/poet-madan-mohan-saxena/ http://madansbarc.jagranjunction.com/wp-admin/?c=1 http://www.catchmypost.com/Manage-my-own-blog.html मेरा इ मेल पता: [email protected] ,[email protected]

2 thoughts on “मासूमियत का संहार

  • विजय कुमार सिंघल

    सही लिखा है आपने ! इस्लामी आतंकवादियों की बहशियाना हरकतों से मानवता तार तार हो गयी है. इसके लिए वे लोग भी जिम्मेदार हैं जो आतंकवादियों को सहारा देते हैं. धिक्कार !

  • गुरमेल सिंह भमरा लंदन

    हैवान लोग हैं , दुःख से कहना पड़ता है , जो पकिस्तान ने बोया था अब काट रहा है और इस की सजा भुगत रहे हैं निर्दोष लोग .

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