कविता

पेशावर में घटी ह्रदय विदारक घटना पर एक रचना

दर्द खामोश
चहकते परिंदे
घुटती साँसें
दर्द से सराबोर
लिपटी तन्हाईयाँ
सर्द सी आहें
स्वप्न हुए टुकड़े
खिलने से पहले
पल भर में
लहुलुहान फिज़ा
चीखी किलकारियाँ
जश्न मनाते
जेहाद के बहाने
सुला भावी भविष्य
हँसा कफ़न
पथराये नयन
अतिथि सूनापन
स्वप्न दफ़न ।
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गुंजन अग्रवाल

नाम- गुंजन अग्रवाल साहित्यिक नाम - "अनहद" शिक्षा- बीएससी, एम.ए.(हिंदी) सचिव - महिला काव्य मंच फरीदाबाद इकाई संपादक - 'कालसाक्षी ' वेबपत्र पोर्टल विशेष - विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं व साझा संकलनों में रचनाएं प्रकाशित ------ विस्तृत हूँ मैं नभ के जैसी, नभ को छूना पर बाकी है। काव्यसाधना की मैं प्यासी, काव्य कलम मेरी साकी है। मैं उड़ेल दूँ भाव सभी अरु, काव्य पियाला छलका जाऊँ। पीते पीते होश न खोना, सत्य अगर मैं दिखला पाऊँ। छ्न्द बहर अरकान सभी ये, रखती हूँ अपने तरकश में। किन्तु नही मैं रह पाती हूँ, सृजन करे कुछ अपने वश में। शब्द साधना कर लेखन में, बात हृदय की कह जाती हूँ। काव्य सहोदर काव्य मित्र है, अतः कवित्त दोहराती हूँ। ...... *अनहद गुंजन*

4 thoughts on “पेशावर में घटी ह्रदय विदारक घटना पर एक रचना

  • गुंजन अग्रवाल

    shukriya Shashi ji

  • गुंजन अग्रवाल

    shukriya vijay bhai

  • विजय कुमार सिंघल

    Good poem !

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