कविता

सुनो मेरे कान्हा

आओ कान्हा , आओ कान्हा, गीता का उपदेश सुना दो,
मन मोहित करने को आ, मुरली की मधुर तान सुना दो,
साग विधुर का राह  देखता , और सुदामा खड़ा अधीर,
आओ आकर स्वयं पोंछ दो, इनकी आँखों से बहते नीर,
ग्वाल बाल भी खड़े अकेले, कौन खिलाये उनको माखन,
गोपियाँ विरह में डूब रही है, नहीं आप सा उनका साजन ,
गली गली में गाय विचरती, जैसे तुमको खोज रही हैं,
अपने बछड़ों को लेकर, संग वन जाने की सोच रहीं हैं,

सुन आज के ‘अर्जुन’- गीता का उपदेश सुनाने कैसे आऊँ ,
गली गली में दुर्योधन बसते , कैसे पापियों को पांर लगाऊं ,
पांडव मारे मारे फिरते, कौरवों ने हथिया ली सब जागीर,
अश्लीलता का दौर चल रहा,लड़कीयां भूली लाज का चीर,
सखा सभी मतलब के यार, कैसे करूँ सुदामा का उद्धार
जन जन में है द्वेष व्यापक, ऐसी दुनिया को धिक्कार ,
विराजमान हैं कई पूतना ,फुंकार रहें है विषधर कालिया
दींन दुखी को दर दर ठोकर, हैवानो ने सब लूट खा लिया,
सुन मेरे अर्जुन, मैं अब कैसे गीता का उपदेश सुनाऊँ ,
गली गली में कंस विरचते, कैसे पापियों को समझाऊँ,

सुनो मेरे कान्हा,हे मेरे प्रभुवर, तुमसे ही है हम सबकी आस,
हे सर्व शक्ति , हे सर्व कला, भक्तो को यूं ना करो निराश,
आओ कान्हा फिर से आओ, ग्वाल बाल संग खेल रचा दो,
दुष्टों का फिर कहर ना टूटे,  रक्षा कवच गोवर्धन उठा दो,
युग बदलेगा, हम बदलेगें, आशा की फिर किरण दिखेगी ,
होगा जब अवतार आपका , हम सब की किस्मत चमकेगी,

आओ कान्हा , आओ कान्हा, फिर गीता का उपदेश सुना दो,
मन मोहित करने को आकर ,फिर मुरली की फिर सुना दो,
  19/12/2014                            –जय प्रकाश भाटिया

जय प्रकाश भाटिया

जय प्रकाश भाटिया जन्म दिन --१४/२/१९४९, टेक्सटाइल इंजीनियर , प्राइवेट कम्पनी में जनरल मेनेजर मो. 9855022670, 9855047845

2 thoughts on “सुनो मेरे कान्हा

  • विजय कुमार सिंघल

    बढ़िया !

  • गुरमेल सिंह भमरा लंदन

    अच्छा लगा .

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