कविता

यादों की पुरवाई

यादों की पुरवाई
आज फिर तेरी यादों की,
पुरबाई चली है !
महक उठी है,साँसें मेरी ,
आँखों में तेरी छवि है!
इश्क का रंग,जब चढा,
कद मेरा ,कुछ और बढा!
भूल गयी मैं , वज़ूद अपना,
तेरे रंग में खुद को रंगा !
प्यार में रिशतों का,
कहाँ मोल है!
मेल – मन से मन का ,
अनमोल है !
मिलना और बिछुडना,
ही जीवन है !
पर रूह से रूह का रिश्ता,
कायम है !
मोहब्बत खुदा की बख्शी,
नेमत है!
पर कहाँ सब पर उसकी,
रहमत है!
दिल के रिश्ते बनाना,
आसाँन नहीं है!
जुदाई, दुख , दर्द, तडप ,
इसके संगी-साथी है!
“आशा”किसी से दिल की,
लगन सच्ची है,
तो वीराने भी,मौसमें-बहार
लगते हैं!

– राधा श्रोत्रिय”आशा”

राधा श्रोत्रिय 'आशा'

जन्म स्थान - ग्वालियर शिक्षा - एम.ए.राजनीती शास्त्र, एम.फिल -राजनीती शास्त्र जिवाजी विश्वविध्यालय ग्वालियर निवास स्थान - आ १५- अंकित परिसर,राजहर्ष कोलोनी, कटियार मार्केट,कोलार रोड भोपाल मोबाइल नो. ७८७९२६०६१२ सर्वप्रथमप्रकाशित रचना..रिश्तों की डोर (चलते-चलते) । स्त्री, धूप का टुकडा , दैनिक जनपथ हरियाणा । ..प्रेम -पत्र.-दैनिक अवध लखनऊ । "माँ" - साहित्य समीर दस्तक वार्षिकांक। जन संवेदना पत्रिका हैवानियत का खेल,आशियाना, करुनावती साहित्य धारा ,में प्रकाशित कविता - नया सबेरा. मेघ तुम कब आओगे,इंतजार. तीसरी जंग,साप्ताहिक । १५ जून से नवसंचार समाचार .कॉम. में नियमित । "आगमन साहित्यिक एवं सांस्कृतिक समूह " भोपाल के तत्वावधान में साहित्यिक चर्चा कार्यक्रम में कविता पाठ " नज़रों की ओस," "एक नारी की सीमा रेखा"

3 thoughts on “यादों की पुरवाई

  • गुरमेल सिंह भमरा लंदन

    बहुत खूब .

  • विजय कुमार सिंघल

    बेहतर कविता !

  • मुकेश सिन्हा

    उम्दा

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