याद
कभी पौधों पर पानी सींचते हुये
नल बंद करना भूल जाता हूँ
कभी चाय बनाने के बाद
गैस चूल्हा जलता हुआ ही
छूट जाता है
मोटर साइकल चलाते समय
स्टैंड
उपर करना भूल जाता हूँ
राह पर चलते चलते
गंतव्य तक पहुचाने वाली मोड़ से
आगे निकल जाता हूँ
न अख़बार पढ़ पता हूँ
न ही दूरदर्शन देख पाता हूँ
क्योंकि मन के भीतर चलचित्र
की तरह तुम्हारे चित्र
आते जाते रहते हैं
धीरे धीरे क्या..
इस जहाँ को और खुद को
भूल जाउन्गा…?
क्योंकि आजकल
मैं तुम्हें याद कर रहा हूँ
किशोर कुमार खोरेंद्र
वाह !
shukriya vijay ji