कहानी

कहानी – मांगे सांता

धरती वासी प्रसन्न है और उम्मीद लगाये बैठे है.. बड़ा दिन क्रिसमस आने वाला है.. इस दिन सभी लोग सांता का इंतज़ार करते है. सबको पता है की सांता के पास उपहारों का खज़ाना होता है और बड़े दिन पर सांता सबको उपहार देकर ख़ुशी देता है..

आ गया वह बड़ा दिन भी .. सबकी उमीदें बढ़ गयी और तरह तरह के कयास लगाये जाने लगे की सांता उपहार में यह देगा वह देगा.. इस बार सब कुछ वैसा नहीं था.. वक़्त ने बहुत कुछ दिखाया और सिखाया है..

धरती को मृत्युलोक कहा जाता है और यहाँ के कुछ नियम कायदे कानून है.. बस आ गया सांता पर भी असर.. जैसे ही सांता धरती पर उतरा दिमाग में हलचल शुरू हो गयी .. सोचने लगा की हर इस बार मैं खुशियां अलग तरह से बाटूंगा.. इस बार लोगो को देने की जगह उनसे उनके दर्द मांगता हु इस तरह उनका दर्द काम होने से जो ख़ुशी मिलेगी उसका एहसास ज्यादा सुखद रहेगा .. शर्त यहहै की उनसे उनका दर्द सीधे न माँगा जाये.. सोचा मुस्कुराया और चल पड़ा वह नए प्रयोग पर ..

पहुंचा एक घर के सामने.. बेल बजायी.. दरवाजा खुला .. ओहो सांता आया सांता आया .. बच्चो के साथ बड़े भी खुश हो गए की सांता उनके घर आया है उपहार लाया है .. बच्चो को टॉफ़ी और खाने की चीज़ देने के बाद थोड़ा सा सुस्त सा दिखाया.. पूछने पर सांता बोला की आज मैं आप लोगो को उपहार देने के लिए नहीं कुछ लेने आया हु.. ख़ामोशी ने सब को घेर लिया एक बारगी ..

आश्चर्य भी हो रहा था सबको और गुस्सा भी आने लगा था.. क्या कह रहे हो सांता.. आप तो उपहार और खुशियां देने आते हो.. आज मांग क्यों रहे हो .. बहुत कुछ होते हुए भी किसी का मन नहीं था की सांता को कुछ दिया जाये.. उम्मीद तो लेने की लगा रखी थी.. खैर कुछ नहीं मिला सांता को उस घर से..

अगले घर सांता पहुंचा.. अपना प्रयोग दोहराया और इस नए प्रयोग के बदले में वैसा ही उत्तर मिला.. और घर जाकर आजमाया यही प्रयोग लेकिन उत्तर सब जगह एक समान..

इस बार जब उसने बेल बजायी उसे पता था क्या होने वाला है.. वही सांता ने अपनी बात सामने रख दी की आज वह कुछ लेने आया है.. उस शख्स ने उसे अंदर बुलाया और प्यार से बैठने को कहा.. पानी पिलाया और कहने लगा की आज उसके पास यह पानी ही है जो कुछ है.. उसकी आँखें भी पानी से भर चुकी थे अब तक..

पूछने पर उस शख्स ने अपना दर्द बता दिया.. समय ने सब कुछ छीन लिया था उसका.. परिवार काम काज धन दौलत सब.. सांता का मन भी भरी हो गया.. फिर से उसे अपना प्रयोग ठीक नहीं लगा की बेकार में दिल दुख दिया.. पहले ही दुखी है बेचारा..

फिर से एक बारगी ख़ामोशी छा गयी.. चुप्पी तोड़ते हुए सांता बोल पड़ा.. मैंने इतने लोगो के पास गया.. समृद्ध लोगो के पास बहुत कुछ था देने के लिए लेकिन नहीं दिया कुछ.. मन में तो लेने की चाह भरी है.. मैं तो दर्द ही लेने आया हु मेरे भाई.. तुम अपने सारे दर्द मुझे दे दो.. एक बार फिर आश्चर्य हुआ सांता की बात पर.. अगले ही पल वह कृतार्थ हो गया सांता का.. खुशियों की झोली वही छोड़ चल दिया सांता..

जाते जाते सांता ने पीछे मुड़कर उस शख्स को देखा.. उसकी ऑंखें खुशियों से भरी हुई थी.. सांता भी खुश हो गया यह सोचकर की इस बार उसने सच्चा सुख बांटा..

4 thoughts on “कहानी – मांगे सांता

  • विजय कुमार सिंघल

    बहुत अच्छी कहानी !

    • मनीष मिश्रा मणि

      आपने पसंद की .. शुक्रिया

  • गुरमेल सिंह भमरा लंदन

    कहानी अच्छी लगी .

    • मनीष मिश्रा मणि

      उत्साहवर्धन के लिए शुक्रिया

Comments are closed.