दिल की बात …
दिल की बात कह पाना उतना आसान नहीं है
बस तुझे मैं चाहूँ मेरा और कोई अरमान नहीं है
कहकशाँ सी मेरी आँखों में तुम समा गए हो
मुकद्दर में मेरे क्या तुझसा आसमान नहीं है
मुझ पर भी इनायत कर दो तो जानूं तुम्हें ऐ खुदा
कहते हैं जहाँ में तुझसा कोई मिहरबान नहीं है
दुनियाँ में सबसे प्यार करूँ कि तेरे लिये फ़ना हो जाऊँ
क्या तेरे नूर से लबरेज हर जर्रा प्रत्येक इंसान नहीं है
न कोई आईना न रास्ता ,न कोई मंजिल न हमसफ़र
सवाल है तन्हाई से ,क्या मेरी कोई पहचान नहीं है
किशोर कुमार खोरेन्द्र
{अरमान =लालसा ,कहकशाँ =आकाश गंगा ,इनायत =कृपा ,मिहरबान =दयावान ,फना =नष्ट ,लबरेज =परिपूर्ण ,जर्रा =कण }
वाह वाह !
thank u vijay ji
दिल की बात बहुत अच्छी लगी , ख़ास कर जो आप पर्शियन लफ़्ज़ों के अर्थ भी लिखते हो . मुझे कहकशां के अर्थ नहीं आते थे हालांकि सारी जिंदगी पता नहीं कितनी दफा यह लफ्ज़ सुन चुका हूँ , आप का धन्यवाद ही करूँगा .
shukriya gurmel ji
वाह्ह
shukriya priya vachchhani ji