गीतिका/ग़ज़ल

लब पे तबस्सुम…..

 

लब पे तबस्सुम रुख़ पे मासूमियत पास तेरे है
वो खुशउस्लूबी वाली अच्छी नीयत पास तेरे है

मैं तेरे ख्वाबों ख्याल का हमराज हमदर्द बन गया हूँ
मेरे खातिर इतनी ज़्यादा अहम्मीयत पास तेरे है

मैं संग तेरे साये सा रहता हूँ तू मेरी परछाई सी है
मुझमे जो उमंग जगा दे ऐसी सुहबत पास तेरे है

चाहत में हमे इंसान ही लगने लगता है रब सा
मैं इबादत करूँ तेरी ऐसी रब्बानियत पास तेरे है

आजकल न जाने क्यों बुत परस्त हो गये हैं लोग
चेतना की वो शाश्वत रूहानी कैफ़ीयत पास तेरे है

किशोर कुमार खोरेंद्र

{तबस्सुम= हाली हँसी , खुशउस्लूबी =आचार -व्यवहार की अच्छाई . नीयत=इरादा,मा “सूमियत =भोलापन,हमराज=मित्र , हमदर्द =दुख दर्द का साथी अहम्मीयत=महत्ता ,सुह,बत=संगत
इबादत =उपासना .रब्बानियत=ईश्वरत्व, रूहानी= आत्मिक , बुत परस्त=मूर्ति पूजक ,कैफ़ीयत=मस्ती}

किशोर कुमार खोरेंद्र

परिचय - किशोर कुमार खोरेन्द्र जन्म तारीख -०७-१०-१९५४ शिक्षा - बी ए व्यवसाय - भारतीय स्टेट बैंक से सेवा निवृत एक अधिकारी रूचि- भ्रमण करना ,दोस्त बनाना , काव्य लेखन उपलब्धियाँ - बालार्क नामक कविता संग्रह का सह संपादन और विभिन्न काव्य संकलन की पुस्तकों में कविताओं को शामिल किया गया है add - t-58 sect- 01 extn awanti vihar RAIPUR ,C.G.

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