मुक्तक
धोये चरण राम के अश्रु जल बरसाया
धो अपने पाप को केवट मन हर्षाया
लिया चरणामृत मुक्त हुआ पापों से
इस जल को देख गंगा जल भी हर्षाया
शान्ति पुरोहित
धोये चरण राम के अश्रु जल बरसाया
धो अपने पाप को केवट मन हर्षाया
लिया चरणामृत मुक्त हुआ पापों से
इस जल को देख गंगा जल भी हर्षाया
शान्ति पुरोहित
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बहुत खूब .
बढ़िया !