मुक्तक/दोहा

मुक्तक

धोये चरण राम के अश्रु जल बरसाया

धो अपने पाप को केवट मन हर्षाया

लिया चरणामृत मुक्त हुआ पापों से

इस जल को देख गंगा जल भी हर्षाया

 

शान्ति पुरोहित

शान्ति पुरोहित

निज आनंद के लिए लिखती हूँ जो भी शब्द गढ़ लेती हूँ कागज पर उतार कर आपके समक्ष रख देती हूँ

2 thoughts on “मुक्तक

  • गुरमेल सिंह भमरा लंदन

    बहुत खूब .

  • विजय कुमार सिंघल

    बढ़िया !

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