इस वर्ष
मैंने इस वर्ष कोई
गलती नही की है
जाते हुऐ साल से मैंने कहा –
मेरे हाथ से एक भी
गिलास
गिरकर टूटा नही है
उसने –
आश्चर्य से मेरे टूटे हुऐ दिल कों देखा
साल ने फिर मुझे बताया
की वह –
उस जंगल से
उस पेड़ से
उस नदी से
उस व्यक्ति से ….
मिलकर आ रहा है
जिनसे मिलने
तुम गए नहीं
तुम्हारी डायरी मे लिखी
तुम्हारी कविताओ कों तुमसे शिकायत है
जाते जाते साल ने फिर मुझसे
आखरी बार कहा –
तुमने उन्हें लिखा पर जिया नही
प्यार जिससे किया
उसे बताया नहीं
किशोर कुमार खोरेन्द्र