कविता

किताबो को खुद पर नाज है …

 

वो सब बच्चे जो पाठ शाला नही जाते ..हमे नही पढ़ पायंगे ..
किताबें उदास है ..
हमे कौन पढ़ेगा किताबों को इंतजार है ..
किताबें उदास है ..
किताबों के पन्नों में कई कहानियाँ ..कैद हैं ..
वक्त नही है उन्हें पढ़ने के लिए किसी के पास
और वक्त के पास है ..
किताबों के ढेर .
किताबें उदास है
यूँ तो हर औरत ,हर बच्चा ..और हर आदमी एक एक किताब है ..

-फिर भी और -और किताबों के लिखे जाने का-
किताबों को इंतजार है ..
एक् वेश्या ,एक् अनाथ बच्चा ,एक् भिखारी ..
शब्दों की आँखों मे आंसुओं सी। .
भरी है सबकी कहानी ..
पता नही वो एक किताब कब लिखी जायेगी ..
जिसका किताबों को इन्तजार है ….

फिर भी किताबो को खुद पर नाज है …
आखिर हरमोड़ से आगे बढ़ने के लिए इन्ही के पास तो
सुनहरा राज है .

किशोर कुमार खोरेन्द्र

किशोर कुमार खोरेंद्र

परिचय - किशोर कुमार खोरेन्द्र जन्म तारीख -०७-१०-१९५४ शिक्षा - बी ए व्यवसाय - भारतीय स्टेट बैंक से सेवा निवृत एक अधिकारी रूचि- भ्रमण करना ,दोस्त बनाना , काव्य लेखन उपलब्धियाँ - बालार्क नामक कविता संग्रह का सह संपादन और विभिन्न काव्य संकलन की पुस्तकों में कविताओं को शामिल किया गया है add - t-58 sect- 01 extn awanti vihar RAIPUR ,C.G.

2 thoughts on “किताबो को खुद पर नाज है …

Comments are closed.