मां, तुम कितनी अच्छी हो ! -3
यदि तुम मुझे बचा भी लोगी,
तो क्या होगा ?
स्कूल की बस में ,
या स्कूल के किसी कक्ष में,
मेरी बोटियां रोज रोज नोंची जाएंगी,
और फिर भी स्कूल की मेडम कहेंगी,
हमारे ड्राइवर और कंडक्टर तो सीधे हैं, सच्चे हैं,
दुराचार के क्षेत्र में बहुत कच्चे हैं,
उस लड़की की मासूमियत ने उन्हें उकसाया होगा,
इसी चक्कर में उन्होंने गलत कदम उठाया होगा,
मेरे शिक्षक के पक्ष में भी,
स्कूल का पूरा तन्त्र,
इस प्रजातंत्र में,
बहुमत बनकर खड़ा हो जाएगा,
तुम और पापा,
मेरे कारण बेवजह अकेले पड़ जाओगे,
बेटी को जन्मने के फैसले से,
बार बार पछताओगे,
मां, तुम कितनी अच्छी हो !
भगवान् की पूजा करने से माँ की सेवा करें तो एक ऐसी खुछी मिलेगी जो मन को हरदम आनंदित रखेगी .
माँ पर एक अच्छी कविता। माँ हमें जन्म देने और हमारा निर्माण करने, हमारे लिए अनेकानेक दुःख सहने के लिए संसार की सर्वोत्तम देन है। माँ पर श्रद्धा से लिखी गई हर लेखक की हर पंक्ति प्रशंसा के योग्य होती है। आपकी पंक्तियाँ दिल को छू रही हैं, इसके लिए आपको बधाई।
बहुत मार्मिक कविता !