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पुस्तक समीक्षा : “प्रबोध शक्ति”

प्रबोध शक्ति हिंदी भाषा मे प्रकाशित पुस्तक है. जो कि सनातन भारतीय गर्न्थों , वेद, पुराण, उपनिषद, भागवत पुराण , रामायण, महाभारत और गीता पर आधारित है संक्षेप में  यह एक अपने आप में सम्पूर्ण ग्रंथ है. जिसमें कि इन शास्त्रों  में वर्णित उन बातों को सही और प्रेक्टीकल अंदाज में समझाया  गया है जो कि वास्तव में आज कि नई और मोडर्न पीढी के लिये काम आ सके. आज कोई भी सनातन  धर्म के गर्न्थो को नही पढ्ना चाहता है क्युँकि न तो समय है और न ही ये सब इस अंदाज मे दिये गये हैं कि वर्तमान पीढी समझ सके.

cover prabodh shakti

फिर  भारतीय संस्कृति पर चोट करने वाले कई लोग विद्यमान है जिन्होंने इन ग्रंथों को और सनातन धर्म को चोट पहुँचाने कसर नहीं छोडी है जिनमें कई पाखंडी बाबा भी हैं जो दुसरेको धर्म और मर्यादा समझाने  मे ब्यस्त है और समाज में वो ब्यक्ति पूजकों कि फौज बनाते है ताकि वो अपने स्वार्थ को सिद्द कर सकें. अत: आवश्यकता है कि ज्ञान कि सही समझ हो.

“प्रबोध शक्ति” चंद्र्शेखर पंत द्वारा रचित एक पुस्तक है जो सभी ग्रंथों का निचोड है जिसमें वर्तमान समाज में व्याप्त  भ्रष्ट्राचार, जातिवाद को  कैसे समाप्त किया जा सकता इस पर चर्चा के साथ उत्तर दिया  गय है. पुस्तक में चार भाग हैं

पहला भाग– परमपिता परमात्मा की दस सृष्टीयों की रचना, वेद, उपनिषद आदि और फिर सृष्टी को चलाने के लिये बनाये गये नियम आदि पर है जिनमें मंत्र, तंत्र, यंत्र और सृष्टी चलाने के लिये कर्तव्यों का निर्धारण, मनुष्य कौन है, कहाँ से आया उसे क्या करना है, कैसे करना चाहिये. संसार को चलाने के लिये वर्ण और आश्रम व्यवस्था आदि के सम्बंध में उसकी सही परिभाषा के द्वारा समझाया गया है जिससे समाज में व्याप्त ऊँच-नीच या जाति प्रथा का भेदभाव जो था नहीं, लेकिन हो गया वो फिर से समाप्त होगा. देवता और भगवान मे अंतर, 33 करोड देवता कौन हैं

दूसरा भाग– इस में सृष्टी निर्माण के लाखों वर्षों के बाद, पहले वेद मार्ग में रहकर अपने पुण्यों कर्मो के द्वारा कई देवता, मनुष्य या दानव शक्तिशाली बन गये और बाद में अभिमान और अहंकार से जब उन्होंने स्वंय को ज्यादा श्रेष्ठ समझ कर सृष्टी में उपद्रव करना शुरु किया और व्यवधान डाला तब भगवान ने वेदोचित मर्यादा का पालन करते हुए सभी को समझाने के लिये समय–समय पर अवतार लिये और उस अवतार में धर्म या कर्तव्य को कैसे निभाना है उसे समझाया, और आज के समय उस अवतार से हम क्या ले सकते हैं जो हमारे काम आये, इस बात को समझाने की कोशिस की है, जो मुख्यतया श्री रामावतार नाम से है और आज श्री राम या श्री सीताजी के आदर्श हमारे लिये कैसे उपयोगी हो सकते है इस बात पर चर्चा है. समाज मे तलाक या फिर पारिवारिक कलह कैसे रुक सकते है?

तीसरा भाग– इस भाग में पुन: श्री कृष्ण अवतार में भगवान ने आज के समय के लिये हमें क्या दिया है और गीता का ज्ञान हमारे लिये आज क्युँ और किस तरह से उपयोगी है या हो सकता है इस बात पर लिखा गया है. रास लीला क्या है और क्युँ की गई, इसका उद्देश्य क्या था और प्रभु लीला के इस कारण पर प्रकाश डाला गया है. महाभारत जो आज भी  जीवन के हर क्षेत्र में हमें प्रेरणा देता है उस पर चर्चा है. क्या गीता सिर्फ यही बतलाती है कि आत्मा अजर अमर है या फिर तुम सिर्फ कर्म करते रहो फल की चाह मत करो? तब सामान्य ब्यक्ति के लिये गीता का क्या उपयोग है?

चौथा भाग– इस भाग में वर्तमान समय के बारे में बतलाया है कि, किस तरह से लोग जाने अनजाने में गलत कर्म कर देते हैं. मन, वचन या कर्म द्वारा किये जाने वाले दोषों से किस तरह से बचा जा सकता है उसके बारे में चर्चा है. फिर कई उन प्रश्नों के उत्तर शस्त्रोक्त आधार पर दिये हैं जो जन सामान्य को जानने चाहिये क्युँकि इन प्रश्नों से जीवन में कई बार सामना होता रहता है.

इस पुस्तक में रामायण, महाभारत या पुराणों के वे अंश, जो तर्कयुक्त नहीं लगते हैं या गलत प्रतीत से लगते हैं उनको सही तर्कसंगत तरीके से रखा है. उदाहरण के लिये रामचरित मानस में बतलाया गया है कि, सीता जी के अपहरण पर जटायुँ ने रावण से युद्ध किया और फिर वो मृत्यु के पहले श्री राम को बतलाया की रावण ने सीता जी का अपहरण किया, यदि ऐसा था तब श्री राम महीनों तक जंगल में क्युँ खोज रहे थे सीता जी को? इसी तरह महाभारत में युधिष्टर ने झूठ एक बार बोला था और कहा गया कि अश्वत्थामा मारा गया, जबकि यह झूठ नहीं था. सीताजी की अग्नि परीक्षा के सम्बंध में कई बातें बतलाई जाती हैं तब क्या अग्नि परीक्षा हुई थी. हनुमानजी ने सूर्य को फल समझ कर क्युँ खा लिया था? सीता जी के विवाह मे धनुष पर प्रत्यंचा चढाने  कि शर्त क्युँ रखी गई.

इस तरह की पुस्तक बाजार में बहुत उप्लब्ध होंगीं, फिर इसमें क्या नया है ? लोग इस बात को सोच सकते है. लेकिन इस में बहुत कुछ नया है क्युँकि पुराणों, राम चरित मानस या महाभारत  के कई अंश जो गलत से प्रतीत होते है उनको तर्कयुक्त तरीके से इस पुस्तक में लिखा गया है.  दुसरा “प्रबोध शक्ति” लोगों को उनका परिचय स्वयँ से  करायेगी और जब आप स्वयँ को जान जाएंगे तो ना भ्रष्ट्राचार मे लिप्त होंगे ना अन्याय में. यह पुस्तक सभी समुदाय के लोगों  के लिये लिखी गई है, बालक युवा, स्त्री पुरुष, सभी जाति धर्म के लिये. और इस्के बाद  आपको  अलग से अलग –अलग धर्म ग्रंथ  पढने  कि जरुरत ही नही है. सबकुछ दिया गया है.

पुस्तक के लेखक चंद्र्शेखर पंत है जो पेशे से ईलेक्ट्रीकल ईंजीनियर हैं एम बी ए  हैं तथा वर्तमान में मुम्बई स्थित प्रतिष्ठित प्राईवेट फर्म में सहायक महाप्रबंधक – प्रोजेक्ट्स के पद पर कार्यरत है. इस पुस्तक को कई बुद्धीजिवियों ने  बहुत सराहा है और अब  अनुवाद अंग्रेजी, मराठी और गुजराती में भी किया जा रहा है.

पुस्तक को  “एन एम ठक्कर एंड कम्पनी , 140 प्रिंसेस स्ट्रीट मरीन लाइंस मुम्बई- 02”  से प्रकाशित किया गया है. पुस्तक का मूल्य रु. 300 मात्र है. आप वी पी द्वारा पुस्तक मंगाँ सकते है और एक बार अवश्य पढेँ.  प्रकाशक को “प्रबोध शक्ति “ मंगाने के लिये अपने पूरे पते के साथ मोबाइल नम्बर पर मेसेज या फोन  09967454445  या  022 22010633  पर आदेश कर सकते है.

 

 

        

One thought on “पुस्तक समीक्षा : “प्रबोध शक्ति”

  • विजय कुमार सिंघल

    स्वाध्याय के लिए यह एक अच्छी पुस्तक है.

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