कविता

मां, तुम कितनी अच्छी हो ! -6

यहां तक भी यदि,

मैं सुरक्षित पहुँच गई,

तो मां, बस में जला दी जाऊंगी,

निर्भया की तरह,

या दफ्तर में भद्दे इशारों और व्यवहारों से,

बच नहीं पाऊंगी,

मुझे वहां कोई भी नहीं बचा पाएगा,

क्योंकि वे सब तो बॉस और उसके साथी होंगे,

अपना हक़ समझकर सारी हरकतें करेंगे,

आखिर वे किससे डरेंगे ?

मां, तुम कितनी अच्छी हो !

One thought on “मां, तुम कितनी अच्छी हो ! -6

  • विजय कुमार सिंघल

    कठोर सत्य बयान करती कविता !

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