कविता

हाइकु

1
जाल सिमटा
जीता जोड़ों का प्यार
जीवन संध्या।
=
शब्द पर कुछ हाइकु 
 
1
धनी निहाल 
मीठे शब्दों का जाल
दीन बेहाल।
2
अनर्थ शब्द
रिश्ता-कश्ती डूबती
हद तोड़ती ।
3
मनु है ज्ञानी 
तिर्यग्योनि अज्ञानी 
शब्द आसक्ति / शब्द प्रभावी
4
शब्द जादुई
हृदय वशीभूत
मधुरतम
=

*विभा रानी श्रीवास्तव

"शिव का शिवत्व विष को धारण करने में है" शिव हूँ या नहीं हूँ लेकिन माँ हूँ

2 thoughts on “हाइकु

  • विभा जी , दिमाग को जरा जोर लगाना पड़ा लेकिन जितना भी समझ आया , बहुत अच्छा लगा.

    • विभा रानी श्रीवास्तव

      आभारी हूँ …. बहुत बहुत धन्यवाद आपका जी

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