एक शहर
एक शहर ऐसा भी,
जहां न कोई मतलबी,
जहां न कोई दुखदायी,
जहां सभी हैं सुख में गुल,
चारों ओर है शांति शांति,
मारा मारीं का हुआ है अन्त,
नहीं जहां कोई आतंक,
वहाँ जाने को तरसते लोग,
जहां ॠषि लगाते भोग,
धन दौलत से वह सम्पूर्ण,
भ्रष्टाचार का हुआ है अन्त,
इस काव्य को जो भी पढते
मुझसे पुछते उसका नाम
उसका नाम है बेनाम।।।
~~~~~~~~रमेश कुमार सिंह
इस की आशा ही कर सकते हैं भाई, वर्ना हकीकत तो हम सब को मालूम है.
वाह वाह !!