Author: रमेश कुमार सिंह 'रुद्र'

कुण्डली/छंदपद्य साहित्य

लगता मुझे है अब,बहकने वाले हैं (मनहरण घनाक्षरी छन्द)

चाँदनी चमक लिए,चाहने की चाह लिए दिल में चाहत भरा,क्यों लिये चल रहीं। बाल तेरे काले काले,चाल तेरे हैं निराले

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