राहगीर
चला जा रहा चला जा रहा,
कहाँ जा रहा कहाँ जा रहा,
पता नहीं मुझे पता नहीं,
कहाँ जा रहा पता नहीं।
अपने दिल के अन्दर,
लिए सुख दुख का समंदर,
लिये दुखो का भण्डार,
या फिर लिए सपने सुन्दर,
पता नहीं मुझे पता नहीं,
कहाँ जा रहा पता नहीं।
अपनी मंजिल साथ लिए वह
अपने दिल में आस लिये वह
शायद करने कोई महान कार्य
दिल दिये जलाये हुए वह
पता नहीं मुझे पता नहीं,
कहाँ जा रहा पता नहीं।
भाई मेरे इधर तो आओ
कहाँ जा रहा मुझे बताओ
तब वह मुझसे आकर बोला
दुनिया में है अनेक दिल वाले
दर्द है अब तक जिनके दिल में
खुद हँसो और सबको हँसाओ
बात यही मै बताने जा रहा
चला जा रहा चला जा रहा।
~~~~~~~रमेश कुमार सिंह
bahut khoob .
वाह वाह !